इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून किट्टूर कर्नाटक में 15 दिन पहले आ गया, जिससे किसानों को राहत की उम्मीद थी. लेकिन लगातार तेज बारिश ने अब यह उम्मीद परेशानी में बदल दी है. धारवाड़ और आसपास के जिलों में किसानों ने मई के तीसरे हफ्ते में, मौसम विभाग की अच्छी बारिश की भविष्यवाणी को देखकर, मूंग और दूसरी फसलों की बुवाई शुरू कर दी थी. लेकिन जून के पहले दो हफ्तों में हुई भारी बारिश से खेतों में पानी भर गया और फसलें खराब होने लगीं. इससे किसानों को नुकसान हुआ है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, धारवाड़ जिले के नवलगुंद, कुंदगोल, अन्निगेरी, हुब्बल्ली और धारवाड़ तालुकों में सामान्य से कई गुना ज्यादा बारिश हुई है. इसके अलावा बेलगावी, गडग, लक्ष्मेश्वर और हावेरी जिले के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश दर्ज की गई. जहां जून के पहले 15 दिनों में सामान्यत 5 मिमी बारिश होती है, वहां इस बार करीब 5 सेमी यानी 400 फीसदी से ज्यादा बारिश हुई है. नतीजतन, खेतों में इतनी ज्यादा नमी हो गई और सूखे खेत अब दलदली जैसे हो गए हैं. इससे बुवाई रुक गई है और पहले से बोई गई फसलें भी खराब हो रही हैं.
फसल उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है
जिन किसानों ने जल्दी बुवाई की थी, वे अब भारी नुकसान झेल रहे हैं. कई खेतों में पानी जमा होने से बीज अंकुरित नहीं हो पाए हैं. जहां कुछ बीज अंकुरित हुए भी हैं, वहां बारिश और दलदली हालत के कारण दोबारा बुवाई करना संभव नहीं है. वहीं जो किसान अभी तक बुवाई नहीं कर पाए हैं, वे भी खेतों में ज्यादा नमी होने के कारण कुछ कर नहीं पा रहे हैं. अगर अगले 10 दिनों में बुवाई पूरी नहीं हुई, तो फसल उत्पादन पर बड़ा असर पड़ सकता है और अगर यह स्थिति 2 हफ्ते और चली, तो हालात गंभीर हो सकते हैं.
किसानों को तुरंत मदद की उम्मीद
कुंदगोल के मूंग किसान बसवराज योगप्पनवर ने कहा कि अगर हम दोबारा बुवाई करें, तो फिर से बीज और खाद पर खर्च करना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि खर्च करने के बाद भी रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है. ऐसे में सरकार को इस समय पर हमारी मदद करनी चाहिए. वहीं, किसान नेता मल्लिकार्जुन गौड़ा ने कहा कि बारिश रुक-रुक कर अब भी कई तालुकों में जारी है, जिससे किसान खेतों में जा भी नहीं पा रहे हैं. कई जगहों पर पहले से बोई गई फसलें पानी में डूबी हुई हैं और बाकी खेत इतने गीले हैं कि बुवाई संभव नहीं. किसान बेहद तनाव में हैं, उन्हें तुरंत मदद की जरूरत है.