देश में मॉनसून पूरी तरह एंट्री ले चुका है और इसके साथ ही देशभर में किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई भी शुरू कर दी है. मॉनसून में फसलों की बुवाई से किसानों को दोहरा फायदा होता है. अगर सही तरह से फसल की बुवाई की जाए तो उत्पादन तो अच्छा मिलता ही है, इसके साथ ही किसानों को बारसात के दिनों में सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. मॉनसून में उगाई जाने वाली फसलों में से एक शकरकंद की फसल भी है. जिसकी खेती से किसान 100 से 110 दिन में अच्छी फसल पा सकते हैं. किसान चाहें तो बाजार से कम कीमतों पर इसके बीज खरीद सकते हैं.
यहां से खरीदें बीज
किसानों की सहूलियत के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं लेकर आती है और उनकी मदद के लिए हर संभव तरह से कोशिश भी करती रहती है. ऐसे में राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) की तरफ से किसानों को बाजार से कम कीमतों में बीज उपलब्ध कराए जाते हैं. बता दें कि शकरकंद की किस्म बीएचयू कृष्णा (Sweet Potato Bhu Krishna) एक उन्नत किस्म है जिसकी 100 कटिंग्स बाजार में 1300 रुपये में मिल रहा है जबकि बीज निगम यही कटिंग्स 400 रुपये कम कीमत पर यानी मात्र 900 रुपये में उपलब्ध करा रहा है. किसान चाहें तो इसे ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं.

शकरकंद की कटिंग्स बाजार से कम कीमतों पर खरीदें
ऑनलाइन ऑर्डर करें बीज
- किसानों को शकरकंद की कटिंग्स को ऑनलाइन ऑर्डर करने के लिए आधिकारिक ई-कॉमर्स वेबसाइट के तहत mystore.in पर क्लिक करना होगा.
- इस लिंक से आप सीधे वेबसाइट के पेज पर चले जाएंगे.
- आपकी स्क्रीन पर शकरकंद बीएचयू कृष्णा की कटिंग्स को खरीदने का ऑप्शन आएगा.
- इसके बाद अपनी जरूरत के अनुसार पैकेट की संख्या का चुनाव कर ‘Add to Cart’ पर क्लिक करें.
- अगली स्क्रीन पर आपको चेकआउट ‘Checkout’ का ऑप्शन दिखेगा, उसपर क्लिक करें.
- इसके बाद आपको अपना रजिसटर्ड मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा, जिसके बाद आपके पास एक ओटीपी (OTP) आएगा.
- इस ओटीपी को देने के बाद आपको अपना पता (Address) देना होगा, जिसके बाद आपका ऑर्डर पूरा हो जाएगा.
शकरकंद बीएचयू कृष्णा की खासियत
शकरकंद बीएचयू कृष्णा को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) या बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) द्वारा विकसित किया गया है. इस किस्म को खासतौर पर ज्यादा पैदावार, पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखते हुए तैयार की गई है. इस किस्म की खासियत है कि ये 110 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. बात करें इसकी पैदावार की तो किसान इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से लगभग 20 से 25 टन पैदावार मिल सकती हैं.