फटाफट निकलेंगे कल्ले और बालियां होंगी भारी! बस 50 किलो यूरिया में मिला दें 250 ML ये चीज
जनवरी का समय गेहूं की खेती के लिए बेहद अहम होता है. सही समय पर खाद और पोषण देने से कल्ले बढ़ते हैं और पैदावार में बड़ा उछाल आता है. कम लागत में बेहतर उत्पादन के लिए किसान अब यूरिया के साथ जैविक उपाय अपना रहे हैं, जिससे फसल मजबूत और हरी-भरी बन रही है.
Wheat Farming : सर्दियों का मौसम गेहूं की खेती के लिए सबसे अहम माना जाता है. खासकर जनवरी का महीना, जब ठंड और कोहरा खेतों में मौजूद फसलों को नया जीवन देता है. यही वह समय होता है, जब गेहूं में कल्ले निकलते हैं और यहीं से तय होता है कि आगे चलकर पैदावार कितनी होगी. अगर इस स्टेज पर सही खाद और सही तरीका अपनाया जाए, तो गेहूं की फसल औसत नहीं, बल्कि रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन दे सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसान अगर 50 किलो यूरिया के साथ 250 एमएल एक जैविक उत्पाद का सही समय पर प्रयोग करें, तो फसल में साफ फर्क नजर आता है.
कल्ले निकलने का समय क्यों है सबसे अहम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं की खेती में 20 से 25 दिन की अवस्था को सबसे निर्णायक माना जाता है. इस समय पौधे की जड़ें मजबूत होती हैं और नए कल्ले निकलना शुरू होते हैं. जितने ज्यादा कल्ले, उतनी ज्यादा बालियां और उतना ज्यादा दाना. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस समय पहली सिंचाई के बाद अगर पोषण सही ढंग से दिया जाए, तो पौधा तेजी से बढ़ता है. ठंडा मौसम और हल्की नमी पौधों को पोषक तत्व सोखने में मदद करती है, जिससे फसल हरी-भरी और मजबूत बनती है.
यूरिया और जैविक उत्पाद का सही मेल
किसान आमतौर पर गेहूं में सिर्फ यूरिया डालते हैं, लेकिन अब विशेषज्ञों का मानना है कि यूरिया के साथ जैविक उत्पाद मिलाने से उसका असर कई गुना बढ़ जाता है. 50 किलो यूरिया में 250 एमएल जैविक उत्पाद मिलाने से नाइट्रोजन का अवशोषण बेहतर होता है. इससे जड़ों का विकास तेजी से होता है और पौधा अंदर से मजबूत बनता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मिश्रण मिट्टी में मौजूद सुप्त पोषक तत्वों को भी सक्रिय करता है, जिससे फसल को संतुलित पोषण मिलता है और कल्ले ज्यादा निकलते हैं.
डालने का सही तरीका अपनाएं
अच्छे परिणाम के लिए तरीका सही होना बेहद जरूरी है. पहली सिंचाई के 5 से 6 दिन बाद, जब खेत में हल्की नमी रह जाए और पैर टिकने लगें, तभी यह मिश्रण डालना चाहिए. प्रति एकड़ 40 से 50 किलो यूरिया में 250 एमएल जैविक उत्पाद अच्छी तरह मिलाकर पूरे खेत में समान रूप से छिड़काव करें. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शाम के समय यह काम करना ज्यादा फायदेमंद होता है, क्योंकि कम तापमान और ओस की वजह से पौधे पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से लेते हैं.
इन बातों का रखें खास ध्यान
सिंचाई करते समय यह ध्यान रखें कि खेत में पानी खड़ा न रहे. ज्यादा पानी से जड़ें कमजोर हो सकती हैं और कल्ले कम निकलते हैं. हल्की सिंचाई ही पर्याप्त मानी जाती है. अगर कहीं जलभराव हो जाए, तो तुरंत निकासी की व्यवस्था करें. छिड़काव के दौरान हवा की दिशा पर भी ध्यान दें, ताकि मिश्रण समान रूप से पौधों की जड़ों तक पहुंचे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सही मात्रा, सही समय और सही विधि अपनाने से गेहूं की फसल न सिर्फ हरी-भरी दिखती है, बल्कि दाने भराव भी मजबूत होता है.
क्यों बढ़ता है उत्पादन
यूरिया और जैविक उत्पाद का यह संयोजन फसल को तनाव से बचाने में भी मदद करता है. ठंड, कोहरा या हल्की नमी का असर पौधों पर कम पड़ता है. इससे गेहूं की बालियां मजबूत बनती हैं और दाने का वजन बढ़ता है. यही वजह है कि अब कई किसान इस तरीके को अपनाकर सामान्य से कहीं ज्यादा उत्पादन ले रहे हैं. कम लागत में ज्यादा फायदा पाने के लिए यह तरीका गेहूं किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है.