कम पानी, कम खर्च में ज्यादा मुनाफा, जानिए चने की वो किस्में जो सब पर भारी पड़ रहीं
मध्य प्रदेश के किसान चने की नई देसी किस्मों से बेहतर उत्पादन और मुनाफा पा रहे हैं. कम पानी में भी अच्छी फसल मिल रही है.
चना रबी सीजन की सबसे अहम फसल मानी जाती है, खासकर मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में. खरगोन जिले में अक्टूबर के पहले सप्ताह से ही इसकी बुआई की तैयारी शुरू हो जाती है. इस बार भी किसान भाई बड़ी उम्मीदों के साथ चने की खेती करने जा रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान सही किस्म का देसी चना चुनें और कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें, तो उन्हें प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है. इसके साथ ही बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है, जिससे मुनाफा भी पक्का हो जाता है
देसी चने की ये 5 किस्में बना रही हैं किसानों को मालामाल
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, खरगोन जिले में इस समय देसी चने की कुछ खास वैरायटीज ने बेहतरीन नतीजे दिए हैं. इनमें मुख्य रूप से RBG-201, RBG-202, RBG-203, RBG-204 और RBG-205 शामिल हैं. ये किस्में न सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं, बल्कि इनका दाना भी अच्छा होता है और बीज आसानी से बाजार में उपलब्ध हो जाते हैं. इन किस्मों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं और 115 से 120 दिन में फसल तैयार हो जाती है. इन किस्मों को बड़े पैमाने पर किसान अपनाने लगे हैं, खासकर RBG-202 को, जो सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली किस्म मानी जा रही है.
RBG-202 किस्म क्यों है सबसे ज्यादा लोकप्रिय?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, RBG-202 किस्म ने पिछले कुछ सीजन में शानदार प्रदर्शन किया है. इस किस्म की खासियत है कि इसमें दाने की क्वालिटी अच्छी होती है और उत्पादन भी बाकी किस्मों से ज्यादा होता है. यही वजह है कि बड़ी संख्या में किसान अब इस किस्म को प्राथमिकता दे रहे हैं. अगर किसान RBG-202 या बाकी सुझाई गई किसी भी वैरायटी को अपनाते हैं, तो उन्हें प्रति एकड़ 10 से 12 क्विंटल तक उत्पादन मिल सकता है, जो बाजार में अच्छा दाम दिला सकता है. ये किस्में सूखा सहन करने की क्षमता भी रखती हैं, जिससे कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी फायदा मिल सकता है.
बीज खरीदते समय न करें लापरवाही
कई बार किसान भाई कम कीमत के चक्कर में नकली या खराब क्वालिटी का बीज खरीद लेते हैं. इससे न सिर्फ फसल खराब होती है बल्कि उत्पादन में भी भारी गिरावट आती है. इसलिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि बीज हमेशा प्रमाणित दुकान से ही खरीदें और पक्का बिल जरूर लें. अगर किसान किसी स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या विश्वसनीय सहकारी समिति से बीज लेते हैं, तो उन्हें सही क्वालिटी का बीज मिलेगा और फसल का नुकसान नहीं होगा. अच्छा बीज ही अच्छी फसल की पहली गारंटी होती है.
बुआई से पहले खेत की सही तैयारी है जरूरी
अच्छी पैदावार के लिए सिर्फ बीज ही नहीं, बल्कि खेत की तैयारी भी बेहद जरूरी होती है. बुआई से पहले खेत की गहरी जुताई करें और मिट्टी को भुरभुरा बनाएं. इससे नमी बनी रहती है और बीज अच्छे से जमता है. साथ ही, खेत में गोबर की खाद जरूर डालें. कम से कम 40 से 50 क्विंटल गोबर खाद प्रति एकड़ खेत में मिलाएं. इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी और पौधे ज्यादा मजबूत बनेंगे. खेत में पानी निकासी की भी सही व्यवस्था रखें ताकि ज्यादा पानी रुक न पाए.
कम खर्च, ज्यादा मुनाफा
देसी चने की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें ज्यादा खर्च नहीं आता. इन किस्मों को कम पानी और कम उर्वरक में भी अच्छी पैदावार मिल जाती है. अगर किसान समय पर बुआई करें, सही बीज लें और खेत की तैयारी अच्छी करें, तो लागत भी कम आती है और मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. इस बार चने की बाजार कीमतों में भी तेजी की उम्मीद है, जिससे किसान भाइयों को और ज्यादा फायदा मिल सकता है. देसी चने की मांग हमेशा बनी रहती है, खासकर घरेलू बाजार में इसकी खपत काफी अधिक होती है.