महाराष्ट्र के अलफांसो आम को मिला है GI टैग, जानिए राज्य की 5 बेस्ट किस्में

अल्फांसो जिसे हापुस भी कहा जाता है, देश का सबसे लोकप्रिय और महंगा आम है. इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बहुत है. इसे आमों का राजा भी कहा जाता है. आम की इस किस्म की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और सिंधुदुर्ग में होती है. साल 2018 में इसे जीआई (GI) टैग भी मिल चुका है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 1 Jun, 2025 | 02:02 PM

आम उत्पादन के मामले में भारत पूरी दुनिया टॉप पर है. देशभर के अलग-अलग राज्यों में आम की खेती बड़ै पैमाने पर की जाती है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार अकेले भारत में आम की 1 हजार से भी ज्यादा किस्में हैं. इनमें से कुछ राज्यों के खास आमों को GI टैग भी मिल चुका है. इन्हीं जीआई टैग वाले आमों में से एक है महाराष्ट्र का अल्फांसो आम.इसके अलावा भी महाराष्ट्र में आम की कई किस्मों का उत्पादन होता है. खबर में आगे जानेंगे कि कौन से है महाराष्ट्र के पांच बेस्ट आम.

महाराष्ट्र के 5 बेस्ट आम

अल्फांसो (Alphanso)

अल्फांसो जिसे हापुस भी कहा जाता है, देश का सबसे लोकप्रिय और महंगा आम है. इसकी मांग देश में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी बहुत है. इसे आमों का राजा भी कहा जाता है. आम की इस किस्म की खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के रत्नागिरी, देवगढ़, रायगढ़ और सिंधुदुर्ग में होती है. साल 2018 में इसे जीआई (GI) टैग भी मिल चुका है. यह एक मलाईदार, बदुत ही मीठा और अच्छी खुशबू वाला आम है. इसके पकने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से मई के बीच का होता है. बता दें कि अल्फांसो भारत का सबसे जाता निर्यात किया जाने वाला आम है . खासतौर पर इसका निर्यात अरब देश, जापान और यूरोप में किया जाता है.

राजापुरी

राजापुरी आम का भारत का सबसे प्राचीन आम माना जाता है. इसे इसके बड़े आकार, मोटे छिलके और हल्के मीठे स्वाद के लिए जाना जाता है. इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के कोल्हापुर और संगाली में की जाती है. इसके अलावा गुजरात में भी राजापुरी आम की खेती की जाती है. राजापुरी आम की एक देसी और पारंपरिक किस्म है.इसके एक फल का वजन 500 ग्राम से 1.5 किग्रा तक हो सकता है. मई से जून के बीच राजापुरी आम बाजारों में आ जाता है. इसका इस्तेमाल लोग अचार बनाने में भी करते हैं.

मलगांव

मलगांव आम एक स्थानीय औप पारंपरिक किस्म का आम है .जिसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के सांगली जिले के मलगांव गांव और उसके आसपास के इलाकों में होती है. आम की यह किस्म अपने मीठे स्वाद, खुशबू और देसी गुणों के लिए जाना जाता है. यह आम पकने पर पीला तो कभी-कभी गुलाबी भी हो जाता है. इसके गूदे में रेशा नहीं होता और यह चिकना होता है. यह आम मई से जून के बीच बाजार में आ जाता है. अभी तो यह आम स्थानीय मंडियों में सबसे ज्यादा बिकता है लेकिन इसकी पहचान और अन्य बाजारों में इसकी पहुंच बनाने की कोशिशें चल रही हैं.

वनराज

आम की यह किस्म मुख्य तौर पर गुजरात से संबंधित है. लेकिन महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में बड़े पैमाने पर इसकी खेती होने के कारण अब इसे महाराष्ट्र की किस्म के नाम से भी जाना जाता है. इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के नंदुरबार, धुले, जलगांव, अकोला और अमरावती में की जाती है. वनराज किस्म एक अच्छी क्वालिटी वाली किस्म है जो कि अपने गहरे रंग और बेहतरीन स्वाद के लिए लेकप्रिय है. इसकी शेल्फ लाइफ भी अच्छी होती है. महाराष्ट्र के शहरों में अब इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

पैरी

आम की यह किस्म महाराष्ट्र की सबसे पुरानी, पारंपरिक और बेहद ही मिठास वाली किस्म है. कुछ इलाकों में इसे पायरी आम या पेरी आम भी कहा जाता है. इसकी खेती मुख्य तौर पर महाराष्ट्र के रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, रायगढ़, कोल्हापुर, सांगली और मुंबई के आसपास के इलाकों में की जाती है. पैरी आम का इस्तेमाल खाने के लिए, आमरस बनाने और रस निकालने के लिए किया जाता है. इसके स्वाद में हल्की खटास होती है. अप्रैल से मई के बीच यह आम बाजार में आने लगता है.

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Published: 1 Jun, 2025 | 02:02 PM

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