धान फसल में मछलीपालन कर रहे हैं? ये गलतियां न करें, वरना होगा बड़ा नुकसान

धान की फसल के साथ खेत में मछलीपालन करना फायदे का सौदा तो होता है, क्योंकि यह तरीक एक पंथ दो काज की कहावत पर सटीक बैठता है. लेकिन, थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत होती है, ताकि मुनाफा कहीं घाटे में न बदल जाए.

नोएडा | Published: 15 Jun, 2025 | 05:01 PM

खेती में अब किसान पारंपरिक तरीकों के साथ नए विकल्प भी आजमा रहे हैं. इन्हीं में से एक है धान-मछली खेती। इस तकनीक में एक ही खेत में धान की फसल और मछलियों का पालन किया जाता है. इससे किसान को दोहरा फायदा मिलता है खेत में धान भी तैयार होता है और मछली पालन से भी अच्छी कमाई होती है. लेकिन अगर कुछ सावधानियां न बरती जाएं तो मछलियों की सेहत पर असर पड़ सकता है और नुकसान उठाना पड़ सकता है.

रासायनिक खाद का सीमित उपयोग करें

धान-मछली खेती में सबसे अहम बात है कि रासायनिक खाद का कम से कम इस्तेमाल. क्योंकि अधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरक डालने से खेत के पानी में इन रसायनों की मात्रा बढ़ जाती है. यह पानी मछलियों के लिए खतरनाक बन सकता है. इससे मछलियों के मरने का खतरा रहता है और पूरे पालन पर असर पड़ता है. इसलिए, कोशिश करें कि जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली का प्रयोग करें. ये न केवल धान के लिए फायदेमंद हैं बल्कि मछलियों के लिए भी सुरक्षित रहते हैं.

कीटनाशकों के छिड़काव में बरतें सतर्कता

धान की फसल में कीट-मकौड़ों से बचाव के लिए किसान कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करते हैं. लेकिन अगर ये दवाएं सीधे खेत के पानी में चली गईं तो मछलियों के लिए जहर बन सकती हैं. इसलिए जब भी कीटनाशक का छिड़काव करें तो उससे पहले कुछ दिनों तक खेत में पानी का स्तर कम कर दें. उसके बाद दवा के असर के बाद धीरे-धीरे जलस्तर को सामान्य करें. साथ ही, जैविक या कम जहरीले कीटनाशकों का प्रयोग करना ज्यादा सुरक्षित होता है.

मानसून के दौरान जलस्तर पर रखें नजर

बरसात के मौसम में जलस्तर तेजी से बढ़ जाता है. ऐसे में खेत में ज्यादा पानी भरने से मछलियों के बह जाने का खतरा रहता है. इसके लिए खेत की मेड़ मजबूत बनाएं और अतिरिक्त पानी निकालने का प्रबंध रखें. खेत के कोनों पर ड्रेनेज पाइप लगाएं ताकि जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पानी आसानी से निकाला जा सके, जलस्तर नियंत्रण से मछलियों की सुरक्षा बनी रहती है और धान की फसल भी नुकसान से बचती है.

सरकारी सहायता से लें पूरी जानकारी

धान-मछली खेती एक पर्यावरण अनुकूल और लागत कम करने वाली प्रणाली है. इससे जमीन और पानी का पूरा सदुपयोग होता है. अगर आप इस खेती को शुरू करना चाहते हैं तो पहले कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र से मार्गदर्शन लें. वहां से आपको तकनीकी सलाह, प्रशिक्षण और सरकारी योजनाओं की जानकारी मिल सकती है. सही जानकारी के साथ शुरुआत करने पर जोखिम कम होता है और मुनाफा बढ़ता है.