खेत में करें सिंघाड़े की खेती.. 100 दिन में तैयार होगी फसल.. एक एकड़ में 1.5 लाख की इनकम
सिंघाड़ा की बुआई आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है, ताकि दिसंबर-जनवरी की ठंड में इसके पौधे तेजी से बढ़ें. हालांकि, सिंघाड़े की फसल के लिए 20 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है.
Water Chestnut Cultivation: बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड सहित अधिकांश राज्यों के किसानों को लगता है केवल धान-गेहूं जैसी फसलों की खेती में आमदनी है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. अगर किसान सिंघाड़े की खेती करते हैं, तो कम लागत में ज्यादा कमाई होगी. खास बात यह है कि सिंघाड़े की खेती अब तालाब के साथ-साथ खेत में भी की जा सकती है. इसकी खेती में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत भी नहीं है. वहीं, कई राज्यों में सिंघाड़े की खेतो को बढ़ावा भी दिया जा रहा है. इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी मिल रही है. लेकिन इसके बावजूद भी किसान सिंघाड़ें की खेती में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. पर ऐसे किसानों को मालूम होना चाहिए कि सिंघाड़े की खेती से उनकी किस्मत बदल सकती है. तो आइए आज जानते हैं सिंघाड़े की खेती करने का आसान तरीका क्या है.
जानकारी के लिए बता दें सिंघाड़ा ऐसी फसल है, जिसकी खेती तालाब और खेत दोनों में की जाती है. अगर आप तालाब में सिंघाड़े की बुवाई करना चाहते हैं, तो पहले तालाब की अच्छी तरह से साफ- सफाई कर लें. पानी की सतह पर जमी काई को जरूर हटा लें. फिर सिंघाड़े की बुवाई करें. इससे तालाब साफ रहता है और उत्पादन बढ़ता है. ऐसे सिंघाड़ा एक पानी में उगने वाली फसल है. सर्दी के मौसम में इसकी फसल तेजी से बढ़ती है. इसे कच्चा, उबला या पाउडर बनाकर इस्तेमाल किया जाता है. इसलिए इसकी मार्केट में पूरे साल मांग रहती है.
कब करें सिंघाड़े की बुवाई
ऐसे सिंघाड़ा की बुआई आमतौर पर अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है, ताकि दिसंबर-जनवरी की ठंड में इसके पौधे तेजी से बढ़ें. हालांकि, सिंघाड़े की फसल के लिए 20 से 28 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा माना जाता है. अगर तापमान बहुत कम हो जाए, तो फसल की बढ़त धीमी पड़ सकती है. इसलिए शुरुआती दिनों में तापमान का खास ध्यान रखना जरूरी है. अगर आप सिंघाड़ा खेतों में उगाना चाहते हैं, तो बस खेत के चारों ओर 3 से 4 फुट ऊंची मेड़ बनाएं, ताकि पानी बाहर न निकल सके. अगर खेत में 2- 3 फुट पानी रोका जा सके, तो सिंघाड़ा आसानी से तैयार हो जाता है.
खेत में खेती करने का सही तरीका
खेत में खेती शुरू करने से पहले मिट्टी को पलटकर 10- 15 दिन तक सूखने दें. इससे पुराने कीट और खरपतवार नष्ट हो जाते हैं. इसके बाद गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाएं. शुरुआती दिनों में पानी की गहराई लगभग 25 सेंटीमीटर रखें और पौधे बड़े होने पर इसे बढ़ाकर लगभग 1 मीटर तक कर दें. हालांकि, सिंघाड़ा के बीज मोटे, चमकीले और पूरी तरह स्वस्थ होने चाहिए. बुआई से पहले इन्हें 24 घंटे पानी में भिगोकर हल्का अंकुरित किया जाता है. एक एकड़ के लिए 80 से 100 किलो बीज पर्याप्त रहते हैं. बीजों को 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं और शुरुआत में पानी कम रखें, ताकि अंकुरण ठीक से हो सके.
फफूंद या कीट से बचाने के उपाय
कभी-कभी फसल में फफूंद या कीट लग जाते हैं. ऐसे में कार्बेन्डाजिम या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का हल्का छिड़काव करें. अगर किसान चाहें तो नीम का घोल या लहसुन का अर्क छिड़ सकते हैं. इससे फसल सुरक्षित रहती है और पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित नहीं होती. बुवाई के करीब 100 दिन बाद फसल तैयार हो जाएगी और प्रति एकड़ 50 क्विंटल तक पैदावार मिलेगी. अभी मार्केट में सिंघाड़ 30 रुपये किलो बिक रहा है. इस तरह किसान 5000 किलो सिंघाड़ा बेचकर 150000 रुपये कमा सकते हैं.