श्रीअन्न की स्टार फसल है ज्वार, जानिए इसकी उन्नत खेती का तरीका

ज्वार की खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों ही मौसमों के की जाती है, लेकिन भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा खरीफ सीजन में की जाती है. ज्वार का इस्तेमाल अनाज और चारा दोनों के लिए किया जा सकता है.

नोएडा | Published: 6 Jun, 2025 | 10:26 AM

श्रीअन्न फसलों की प्रमुख फसलों में से एक फसल है ज्वार ( Sorghum) . ज्वार एक अनाज और चारा फसल है जिसकी खेती मुख्य रूप से कम पानी वाले इलाकों में की जाती है. वैसे तो ज्वार की खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों ही मौसमों के की जाती है लेकिन भारत में इसकी खेती सबसे ज्यादा खरीफ सीजन में की जाती है. ज्वार का इस्तेमाल अनाज और चारा दोनों के लिए किया जा सकता है. खबर में आगे बात करेंगे किसान कैसे कर सकते हैं इसकी खेती और क्या है बीज रोपाई का सही समय.

ऐसे करे खेत की तैयारी

ज्वार (Sorghum) की बुवाई के लिए 6.5 से 7.5 तक pH मान वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे सही होती है. ज्वार की खेती करने से पहले बहुत जरूरी है कि किसान खेत की अच्छे से जुताई कर लें. 2 से 3 बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा कर लें. आखिरी जुताई के समय मिट्टी में करीब 10 से 15 टन गोबर की सड़ी हुई खाद जरूर मिलाएं . जुताई के बाद खेत को समतल कर लें और खरपतवारों को नष्ट कर दें.

बीज बुवाई का सही तरीका

खरीफ सीजन में ज्वार की खेती के लिए सबसे सही समय जून से जुलाई के बीच का रहता है. अगर अनाज के लिए ज्वार की खेती की जा रही है तो प्रति हेक्टेयर फसल के लिए 8 से 10 किग्रा बीज और चारा के लिए प्रति हेक्टेयर फसल पर 30 से 35 किग्रा बीज की जरूरत होती है. बीजों की बुवाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि कतार से कतार की दूरी 45 सेमी तो वहीं पौधों से पौधों की दूरी 15 सेमी तक होनी चाहिए.

65 हजार तक हो सकता है शुद्ध मुनाफा

बात करें पैदावार की तो अनाज के लिए प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को 25 से 35 क्विंटल और चारे के लिए प्रति हेक्टेयर फसल से 300 से 400 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है. ज्वार की खेती में किसान को 15 से 25 हजार तक की कुल लागत आती है. वहीं ज्वार की खेती से किसान औसतन 66 से 90 हजार रुपए तक कमा सकते हैं. अगर किसान कुल कमाई से लागत को घटा दें तो ज्वार की खेती से किसानों को 40 से 65 हजार तक का शुद्ध मुनाफा हो सकता है.