Bihar News: बिहार सरकार ने सितंबर में मुर्गीपालकों को जरूरी सुझाव दिए हैं. ब्रायलर मुर्गियों का वजन जांचें, लेयर शेड में पर्याप्त रोशनी रखें, संतुलित आहार और साफ पानी दें. शांति और स्वच्छता बनाए रखें तथा बीमारियों से बचाव के लिए समय पर टीकाकरण और दवा कराएं. सरकार का कहना है कि छोटे स्तर के मुर्गीपालकों से लेकर बड़े पोल्ट्री फार्म तक, सभी को इन बातों का पालन करना चाहिए ताकि किसी भी तरह की परेशानी से बचा जा सके.
ब्रायलर मुर्गियों का वजन और वृद्धि पर नजर रखें
यदि आप ब्रायलर मुर्गियों का पालन कर रहे हैं तो उनका वजन और वृद्धि नियमित रूप से जांचना जरूरी है. ऐसा करने से यह पता चलता है कि मुर्गियों को सही आहार मिल रहा है या नहीं. समय पर जांच से यह भी समझ आता है कि कहीं कोई बीमारी या आहार की कमी तो नहीं हो रही है. सरकार का कहना है कि मुर्गियों की समय-समय पर जांच करने से नुकसान से बचा जा सकता है और मुनाफा भी बढ़ता है.
लेयर मुर्गियों के लिए शेड में पर्याप्त रोशनी जरूरी
लेयर मुर्गियां अंडा उत्पादन के लिए पाली जाती हैं. इनके लिए शेड में पर्याप्त रोशनी का होना बेहद जरूरी है. बिहार सरकार ने मुर्गीपालकों को सुझाव दिया है कि लेयर शेड में समय पर और पर्याप्त लाइट का इंतजाम करें. सही रोशनी मिलने से मुर्गियां ज्यादा सक्रिय रहती हैं और अंडा उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.

बिहार सरकार का पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग.
संतुलित आहार और साफ पानी दें
मुर्गियों के अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार और साफ पानी सबसे जरूरी है. सरकार ने कहा है कि आहार में प्रोटीन, खनिज और विटामिन की उचित मात्रा होनी चाहिए. गंदा या बासी पानी मुर्गियों में बीमारियों को बढ़ावा दे सकता है. इसलिए रोजाना साफ पानी देना और फीड की क्वालिटी पर ध्यान देना जरूरी है.
शेड में शांति और स्वच्छता बनाए रखें
मुर्गियों के शेड में हमेशा शांति और स्वच्छता बनी रहनी चाहिए. तेज आवाज, भीड़ या गंदगी से मुर्गियां तनाव में आ जाती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य और उत्पादन पर असर पड़ता है. बिहार सरकार का कहना है कि मुर्गियों को तनावमुक्त माहौल देना जरूरी है. इसके लिए शेड की साफ-सफाई और उचित हवादारी पर ध्यान दें.
बीमारी से बचाव और समय पर दवाई
सितंबर के मौसम में नमी और तापमान के कारण बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. सरकार ने मुर्गीपालकों को सलाह दी है कि वे नियमित टीकाकरण करवाएं और जरूरत पड़ने पर पशु चिकित्सक से परामर्श लें. साथ ही, बीमार मुर्गियों को अलग रखना और शेड की नियमित डिसइन्फेक्शन करना भी बेहद जरूरी है. इससे पूरे झुंड को सुरक्षित रखा जा सकता है.