Pushkar Fair : अजमेर का मशहूर पुष्कर पशु मेला इस बार एक अफवाह के कारण सुर्खियों में आ गया. सोशल मीडिया पर अचानक यह खबर फैल गई कि मेले में आई 21 करोड़ रुपये की भैंस की मौत हो गई है. कुछ ही मिनटों में यह खबर आग की तरह फैल गई– लोग मेले में इधर-उधर दौड़ पड़े, वीडियो वायरल हो गए, और अफरा-तफरी मच गई. लेकिन कुछ घंटों बाद सच्चाई सामने आई कि वह करोड़ों वाली भैंस पूरी तरह स्वस्थ और जिंदा है. यानी, पूरा मामला सिर्फ अफवाह निकला.
सोशल मीडिया पर फैली झूठी खबर ने बढ़ाई हलचल
शुक्रवार की दोपहर अचानक सोशल मीडिया पर कई पोस्ट आने लगे कि पुष्कर मेले में करोड़ों की भैंस मर गई. कुछ स्थानीय चैनलों और फेसबुक पेजों ने बिना जांच के यह खबर चला दी. लोगों ने वीडियो बनाकर शेयर करना शुरू कर दिया, जिससे मेले में भीड़ और चिंता दोनों बढ़ गईं. कई लोग तो भैंस को देखने के लिए उसके स्टॉल तक जा पहुंचे. बाद में जब अधिकारियों और पशुपालकों ने जांच की, तो पता चला कि मरने वाली भैंस कोई दूसरी थी, न कि वह 21 करोड़ वाली चर्चित भैंस.
पशुपालन विभाग ने दी सफाई– भैंस जिंदा और स्वस्थ है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अफवाह फैलने के कुछ ही समय बाद पशुपालन विभाग की टीम मौके पर पहुंची. उन्होंने तुरंत स्थिति की जांच की और बताया कि करोड़ों वाली प्रसिद्ध भैंस पूरी तरह स्वस्थ है. टीम के एक अधिकारी ने कहा, लोगों को गलत जानकारी दी गई है. किसी अन्य भैंस के बीमार पड़ने की घटना को गलत तरीके से जोड़ दिया गया. इसके बाद विभाग ने सोशल मीडिया पर भी अपडेट जारी किया ताकि गलतफहमियां खत्म हों.
भैंस के मालिक बोले– हमारी भैंस बिलकुल ठीक है
भैंस के मालिक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, हमारी भैंस को किसी तरह की दिक्कत नहीं है. वह सिर्फ थोड़ी थक गई थी, इसलिए उसे आराम दिया गया था. उन्होंने यह भी बताया कि उनके परिवार ने भैंस की देखभाल में विशेष व्यवस्था की है– उसे ठंडे पानी, पौष्टिक चारे और आरामदायक जगह पर रखा गया है. मालिक ने लोगों से अपील की कि अफवाहों पर भरोसा न करें और मेले की रौनक का आनंद लें.
करोड़ों के पशु बने मेले का आकर्षण
हर साल की तरह इस बार भी पुष्कर पशु मेला अपनी रौनक और परंपरा के लिए चर्चा में है. देशभर से पशुपालक अपने कीमती पशुओं के साथ पहुंचे हैं– हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश से लाई गई भैंसें, ऊंट और घोड़े मेले की शान बने हुए हैं. कुछ पशुपालकों ने तो अपने पशुओं को लक्जरी ट्रेलर और एसी गाड़ियों में लाया है. इससे साफ पता चलता है कि पशुपालक अपने पशुओं के स्वास्थ्य और सुविधा को लेकर कितने जागरूक हैं. मेले में कई पशु प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनियां और खरीद-फरोख्त के सौदे भी हो रहे हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी फायदा मिल रहा है.
सच्चाई जांचे बिना न फैलाएं खबरें
इस पूरे मामले ने फिर साबित किया कि सोशल मीडिया पर हर खबर पर तुरंत भरोसा नहीं किया जा सकता. एक झूठी खबर से न केवल पशुपालकों को मानसिक नुकसान हुआ, बल्कि मेले की व्यवस्था भी कुछ घंटों के लिए गड़बड़ा गई. अधिकारियों ने सभी से अपील की है कि बिना पुष्टि के किसी भी जानकारी को शेयर न करें. ऐसे आयोजनों में सुरक्षा और अनुशासन बनाए रखना सबकी जिम्मेदारी है ताकि भारत की पशुपालन परंपरा और ग्रामीण संस्कृति सुरक्षित रह सके.