वरिष्ठ कांग्रेस नेता और महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात ने सोमवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से किसानों को तुरंत राहत देने की मांग की. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसानों को प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की आर्थिक मदद तुरंत देनी चाहिए. थोरात ने कहा कि फॉर्मल सर्वे और पंचनामा का इंतजार किए बिना राजस्व विभाग को तुरंत राहत पैकेज जारी करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मई में जब फसल कटने को तैयार थी, तभी बारिश ने केला, केसर आम, टमाटर, प्याज और अनार जैसी फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि सिर्फ फसल ही नहीं, कई किसानों के घर भी टूट गए हैं. इसलिए पुनर्वास का काम सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. थोरात ने यह भी आरोप लगाया कि जब पूरा राज्य कृषि संकट से जूझ रहा है, तब सरकार की मदद बहुत ही ढीली और औपचारिक लग रही है. कृषि मंत्री को केवल बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि ठोस कदम उठाने चाहिए.
फसल बीमा योजनाएं अब बेअसर हो गई
पूर्व राजस्व मंत्री बाला साहेब थोरात ने कहा कि किसान पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं, उनके पास एक भी पैसा नहीं बचा है. फिर भी सरकार मदद को लेकर गंभीर नहीं दिख रही. उन्होंने कहा कि सहायता NDRF से आए या SDRF से, इससे फर्क नहीं पड़ता. जरूरी है कि किसानों को जल्दी और बड़ी राहत मिले. थोरात ने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने फसल बीमा योजना की पात्रता तीन हेक्टेयर से घटाकर दो हेक्टेयर कर दी है, जिससे हजारों किसान योजना से बाहर हो गए हैं. उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव के कारण फसल बीमा योजनाएं अब बेअसर हो गई हैं.
बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी
कांग्रेस नेता ने कहा कि मई में जब फसलें काटने का समय था, तब हुई बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी. खासकर केले और केसर आम को भारी नुकसान हुआ है, वहीं टमाटर, प्याज और अनार की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि जब राज्य के किसान गंभीर संकट से जूझ रहे हैं, तब सरकार की मदद सिर्फ नाम की है. थोरात ने अपने भतीजे सत्यजीत तांबे पर भी तंज कसा, जिन्होंने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. थोरात ने उनके बयानों को बच्चों जैसी बातें बताते हुए गंभीरता से न लेने की सलाह दी.