25 गाय-भैंस से शुरू होगा डेयरी बिजनेस, सरकार दे रही लाखों की सब्सिडी, जानिए क्या है कामधेनु योजना

मध्यप्रदेश सरकार ने पशुपालकों और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना शुरू की है. इस योजना से गांवों में डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा मिलेगा. सरकार सब्सिडी, ट्रेनिंग और लोन सुविधा देकर युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रही है.

नोएडा | Published: 16 Dec, 2025 | 04:35 PM

Kamdhenu Scheme : मध्यप्रदेश में अब दूध सिर्फ घर की जरूरत नहीं, बल्कि आमदनी का मजबूत जरिया बनने जा रहा है. गांव के युवा, किसान और पशुपालक जो अब तक छोटे स्तर पर पशुपालन करते थे, उनके लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने साफ कहा है कि प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए डेयरी सेक्टर को मजबूत किया जाएगा. इसी सोच के साथ शुरू हुई है डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था की दिशा बदलने का क्षमता रखती है.

डेयरी क्रांति की नई शुरुआत

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि यह योजना सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि गांवों में रोजगार और आत्मनिर्भरता की मजबूत नींव है. इस योजना का मकसद दूध उत्पादन बढ़ाना, पशुपालकों की आय बढ़ाना और डेयरी उद्योग  को वैज्ञानिक और फायदे वाला बनाना है. सरकार चाहती है कि युवा नौकरी की तलाश में शहर न जाएं, बल्कि गांव में ही आधुनिक डेयरी खोलकर अच्छा मुनाफा कमाएं.

25 पशुओं से शुरू, 200 तक का मौका

मध्य प्रदेश पशुपालन विभाग के अनुसार, कामधेनु योजना  के तहत एक लाभार्थी को 25 दुधारू पशुओं की एक इकाई लगाने का मौका दिया जा रहा है. अगर कोई ज्यादा बड़ा काम करना चाहता है, तो वह अधिकतम 8 इकाइयां यानी 200 पशुओं तक की डेयरी भी खोल सकता है. हर इकाई में एक ही नस्ल के गाय या भैंस रखी जाएंगी, ताकि देखभाल और उत्पादन बेहतर हो. यह योजना छोटे और मध्यम डेयरी कारोबारियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है.

जमीन और ट्रेनिंग की भी पूरी व्यवस्था

योजना की एक जरूरी शर्त है कि हर इकाई के लिए लाभार्थी के पास कम से कम 3.50 एकड़ कृषि भूमि हो. यह जमीन पशुओं के रहने, चारे और डेयरी संचालन  के लिए जरूरी है. परिवार की साझा जमीन भी मान्य होगी, लेकिन सभी की सहमति जरूरी होगी. इसके साथ ही सरकार पशुपालकों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी देगी, ताकि वे आधुनिक तरीके से डेयरी चला सकें और नुकसान से बचें.

सब्सिडी से आसान होगा बड़ा निवेश

इस योजना का सबसे बड़ा फायदा है सरकारी अनुदान. अनुसूचित जाति और जनजाति  वर्ग को कुल लागत का 33 फीसदी, जबकि अन्य वर्गों को 25 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी. एक इकाई की लागत करीब 36 से 42 लाख रुपये तक है. बाकी रकम बैंक लोन से मिलेगी, जिसे चार चरणों में दिया जाएगा. आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन है और चयन में पारदर्शिता रखी गई है. पहले से दूध संघों  को दूध देने वालों को प्राथमिकता भी मिलेगी.

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