Livestock Care : सर्दियों का मौसम जहां इंसानों के लिए राहत लेकर आता है, वहीं पशुपालकों के लिए मुश्किलें बढ़ा देता है. खासतौर पर भेड़-बकरियों के बच्चे ठंड में जल्दी बीमार पड़ जाते हैं. ठंड और नमी के कारण इन छोटे जानवरों में निमोनिया जैसी बीमारियां फैल जाती हैं. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज लिया है, जिससे ठंड में भी भेड़-बकरियों को सुरक्षित रखा जा सकेगा.
सर्दी से बचाने के लिए खास शेड तैयार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किया गया यह खास विंटर प्रोटेक्शन शेड सोलर ड्रायर तकनीक पर आधारित है. इस शेड की खासियत यह है कि यह दोहरे तरीके से काम करता है– पहला, ठंडी हवा को अंदर आने से रोकता है और दूसरा अंदर के तापमान को संतुलित रखता है. शेड की दीवारों पर जाली के पीछे प्लास्टिक की शीट लगाई जाती है, ताकि बाहर की ठंडी हवा अंदर न जा सके. वहीं, अंदर कुशन जैसे पैनल लगे होते हैं जो गर्मी को बनाए रखते हैं. साथ ही शेड में हल्की रोशनी के लिए बल्ब लगाए जाते हैं, ताकि अंदर तापमान स्थिर रहे.
गर्मी और हवा का सही संतुलन
शेड में इस बात का भी ध्यान रखा गया है कि गर्मी बढ़ने से अंदर घुटन न हो. इसके लिए एक एग्जॉस्ट फैन लगाया गया है, जो हवा के आवागमन को बनाए रखता है. यह तकनीक न केवल भेड़-बकरियों को ठंड से बचाती है बल्कि उनके बच्चों की मृत्यु दर को भी काफी हद तक कम करती है. इस शेड में एक साथ करीब 40 तक भेड़-बकरियों के बच्चों को रखा जा सकता है. इस वजह से यह तरीका छोटे और बड़े दोनों स्तर के पशुपालकों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.
लागत कम, फायदा ज्यादा
अगर बात करें लागत की, तो यह पूरा शेड लगभग 60 से 70 हजार रुपये की लागत में तैयार हो जाता है. हालांकि, जो किसान कम खर्च में इसे बनाना चाहते हैं, वे लोहे की जाली की जगह लकड़ी की जाली का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे खर्च कुछ कम हो जाएगा लेकिन सुरक्षा बरकरार रहेगी. इस तकनीक से किसानों को एक बार की लागत में कई सालों तक फायदा मिलेगा. इससे न सिर्फ जानवरों की जान बचेगी, बल्कि ठंड के कारण होने वाले उत्पादन के नुकसान से भी राहत मिलेगी.
पशुपालन में नई उम्मीद की किरण
इस तकनीक के आने से पशुपालकों में नई उम्मीद जगी है. ठंड के मौसम में जब बकरियों की मौत से किसानों की कमाई प्रभावित होती थी, अब वही नुकसान रुक सकेगा. साथ ही दूध और मांस के उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. यह तकनीक ग्रामीण इलाकों में पशुपालन को और बढ़ावा दे सकती है. क्योंकि ज्यादातर छोटे किसान सर्दियों में भेड़-बकरियों के बच्चों को बचा नहीं पाते थे. अब वे आसानी से इन्हें सुरक्षित रख सकते हैं और अपनी आमदनी को दोगुना कर सकते हैं.