पेट के कीड़े गाय-भैंस के दूध और ताकत को कर रहे हैं कम, जानिए उपाय

सर्दी और मौसम बदलते ही गाय-भैंस में पेट के कीड़ों का खतरा बढ़ जाता है. ये कीड़े पशुओं को अंदर से कमजोर कर देते हैं, जिससे दूध उत्पादन और प्रजनन दोनों प्रभावित होते हैं. सही समय पर पहचान और इलाज से पशु स्वस्थ रह सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 17 Dec, 2025 | 01:26 PM

Dairy Farming : सर्दी बढ़ते ही कई पशुपालक यह सोचकर परेशान हो जाते हैं कि गाय-भैंस अचानक कमजोर क्यों हो रही हैं, दूध क्यों कम हो रहा है और बार-बार बीमार क्यों पड़ रही हैं. कई बार बाहर से पशु ठीक दिखता है, लेकिन अंदर ही अंदर उसकी ताकत खत्म होती जा रही होती है. इसकी सबसे बड़ी वजह पेट के कीड़े होते हैं, जो चुपचाप पशु के शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं.

मौसम बदलते ही क्यों बढ़ जाता है पेट के कीड़ों का खतरा

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जैसे ही मौसम बदलता है, खासकर मानसून की शुरुआत  और सर्दी के समय, पशुओं में पेट के कीड़े  तेजी से बढ़ने लगते हैं. ये कीड़े पशु के शरीर के अंदर खून चूसते रहते हैं. इससे पशु के शरीर में ऊर्जा की कमी हो जाती है. ऐसे पशु सुस्त हो जाते हैं, चारा कम खाते  हैं और धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगते हैं. कई बार बाहर से कोई लक्षण नजर नहीं आता, लेकिन नुकसान अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है.

दूध और प्रजनन पर सीधा असर

पेट के कीड़ों का सबसे बड़ा असर दूध उत्पादन  पर पड़ता है. जब पशु के शरीर में ताकत नहीं रहती, तो वह दूध भी कम देने लगता है. इतना ही नहीं, कई पशु समय पर हीट में नहीं आते. इससे गर्भाधान की प्रक्रिया प्रभावित होती है और पशुपालक को दोहरा नुकसान उठाना पड़ता है. दूध कम होने से रोज की कमाई घटती है और बछड़ा न होने से भविष्य की योजना भी बिगड़ जाती है.

कौन सी दवा है असरदार और सस्ती

पशुपालकों के लिए राहत की बात यह है कि पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए बाजार में असरदार दवाएं आसानी से मिल जाती हैं. आइवरमेक्टिन और फेनबेंडाजोल जैसी दवाएं पेट के कीड़ों पर अच्छा असर करती हैं. इन दवाओं की कीमत  भी ज्यादा नहीं होती, आमतौर पर 110 से 120 रुपये के बीच मिल जाती हैं. सही समय पर दवा देने से पशु की सेहत सुधरती है, ताकत लौटती है और दूध उत्पादन फिर से बढ़ने लगता है.

दवा देने में जरूरी सावधानी

हालांकि दवा देते समय सावधानी बहुत जरूरी है. गर्भवती पशु  को बिना सलाह के कोई भी कृमिनाशक दवा नहीं देनी चाहिए. इससे पशु और गर्भ दोनों को नुकसान हो सकता है. दवा हमेशा सही मात्रा में और सही समय पर दें. अगर पशु बहुत ज्यादा कमजोर हो, दूध अचानक गिर गया हो या लंबे समय से परेशानी चल रही हो, तो पहले जांच करवाना बेहतर रहता है.

Published: 17 Dec, 2025 | 01:26 PM

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