सितंबर का महीना खेती और पशुपालन दोनों के लिए बेहद जरूरी होता है. जहां एक तरफ बरसात का मौसम खत्म हो रहा होता है, वहीं दूसरी तरफ फसलें बढ़ने लगती हैं और पशु भी मौसम बदलने के असर से गुजरते हैं. ऐसे समय में अगर पशुपालक सतर्क न रहें, तो मवेशियों में बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है. बिहार सरकार के कृषि विभाग ने सितंबर महीने में होने वाले कृषि और पशुपालन से जुड़े जरूरी कार्यों की एक सूची जारी की है. इसमें खासतौर से कहा गया है कि हर पशु को कृमी से बचाने वाली दवा जरूर दी जाए, ताकि वो स्वस्थ और मजबूत बने रहें.
बरसात के बाद क्यों बढ़ता है कृमि का खतरा?
बरसात के मौसम में नमी ज्यादा होती है और जगह-जगह गंदगी या कीचड़ भी जमा हो जाता है. ऐसे में पशुओं को पेट में कीड़े (कृमि) होने की संभावना बढ़ जाती है. ये कृमि धीरे-धीरे पशुओं के शरीर को कमजोर कर देते हैं, जिससे वो कम चारा खाते हैं, वजन घटने लगता है और दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. इसलिए कृषि विभाग की सलाह है कि सितंबर महीने में सभी पशुओं को कृमिनाशक दवा जरूर दी जाए, ताकि समय रहते इन समस्याओं से बचा जा सके.
सितम्बर माह के कृषि कार्य
वर्षा ऋतु के अंत में प्रत्येक पशु को कृमी निरोधक दवा अवश्य खिला दें।@VijayKrSinhaBih @AgriGoI @BiharAFRD @BametiBihar @IPRDBihar #BiharAgricultureDept pic.twitter.com/GqH7dtjE3Gऔर पढ़ें— Agriculture Department, Govt. of Bihar (@Agribih) September 24, 2025
कृमिनाशक दवा देने के क्या फायदे हैं?
कृमी यानी पेट के कीड़े पशुओं के शरीर में चुपचाप नुकसान पहुंचाते हैं. ये कीड़े उनके पाचन तंत्र को कमजोर कर देते हैं, जिससे पशु चारा ठीक से नहीं खा पाता और धीरे-धीरे कमजोर होने लगता है. इससे दूध उत्पादन में गिरावट आती है, वजन कम हो जाता है और पशु बीमार भी पड़ सकता है. यदि समय पर कृमिनाशक दवा दी जाए, तो पाचन तंत्र सही रहता है, चारा अच्छे से हजम होता है और पशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. इससे न सिर्फ पशु स्वस्थ रहता है, बल्कि दूध और मांस उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है.
दवा कब और कैसे दें?
कृमिनाशक दवा आमतौर पर मौसम बदलते समय, यानी सितंबर और मार्च महीने में दी जाती है. इस दवा को पशु की उम्र, वजन और हालत के अनुसार देना जरूरी है. इसलिए बिना पशु चिकित्सक की सलाह के दवा न दें कई बार ये दवा गोलियों, सिरप या पाउडर के रूप में उपलब्ध होती है, जिसे चारे में मिलाकर या सीधे पशु को दिया जा सकता है.
कहां से लें दवा और सलाह?
अगर आप किसान या पशुपालक हैं और अपने पशुओं को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो कृमिनाशक दवा देना बहुत जरूरी है. इसके लिए आप अपने नजदीकी पशु चिकित्सालय या कृषि केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. वहां आपको उचित दवा, सही मात्रा की जानकारी, दवा देने का तरीका और पशु की जांच की सुविधा मिल जाएगी. कई बार सरकार की योजनाओं के तहत ये दवाएं फ्री भी उपलब्ध कराई जाती हैं. जानकारी लेने और सही समय पर दवा देने से पशु बीमारियों से बचे रहेंगे और उत्पादन भी अच्छा होगा. इसलिए समय पर सलाह लेना बहुत जरूरी है.
पशुपालन से जुड़े अन्य जरूरी काम भी करें
सितंबर का महीना पशुपालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. यह सिर्फ कृमिनाशक दवा देने का समय नहीं है, बल्कि कई जरूरी कामों पर भी ध्यान देना चाहिए. सबसे पहले, पशुओं के रहने की जगह को साफ और सूखा रखें ताकि बीमारियों से बचाव हो सके. चारा हमेशा सूखा और ताजा रखें, सड़ा-गला चारा कभी न दें. ठंड और मच्छरों से बचाने की तैयारी भी जरूरी है. दूध निकालते समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान दें. साथ ही, टीकाकरण की तारीखें जरूर जांचें और समय पर टीके लगवाएं. इन सावधानियों से पशु स्वस्थ और उत्पादन बेहतर बना रहेगा.