Desi Cow Breeds : गांवों में आज भी दूध का कामकाज आमदनी की रीढ़ माना जाता है. सुबह-शाम का दूध न सिर्फ घर की जरूरतें पूरी करता है, बल्कि बाजार में बेचकर अच्छी कमाई भी दिलाता है. ऐसे में हर पशुपालक चाहता है कि उसकी गाय ज्यादा दूध दे, कम बीमार पड़े और लंबे समय तक साथ निभाए. इसी जरूरत को पूरा करती हैं देशी गायों की कुछ खास नस्लें, जिन्हें डेयरी फार्मिंग से लेकर घरेलू पालन तक खूब पसंद किया जाता है. आज हम आपको देसी गाय की ऐसी तीन नस्लों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें किसान प्यार से दूध की मशीन भी कहते हैं.
देसी गायों का बढ़ता भरोसा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में गाय और भैंस दोनों ही दुग्ध उत्पादन के लिए पाली जाती हैं, लेकिन हाल के वर्षों में देसी गायों की मांग तेजी से बढ़ी है. इसकी वजह है इनका मजबूत शरीर, बीमारियों से लड़ने की ताकत और संतुलित दूध उत्पादन. गिर, थारपारकर और साहिवाल जैसी नस्लें न सिर्फ दूध में बेहतर मानी जाती हैं, बल्कि इनका रख-रखाव भी ज्यादा मुश्किल नहीं होता. यही कारण है कि छोटे किसान से लेकर बड़े डेयरी फार्म तक, इन नस्लों पर भरोसा कर रहे हैं.
गिर गाय: दूध और सेहत दोनों की पहचान
गिर गाय को देसी नस्लों की शान माना जाता है. यह एक दिन में करीब 12 से 20 लीटर तक दूध देती है. एक ब्यांत में इसका दूध उत्पादन 1500 से 1600 लीटर तक पहुंच जाता है. गिर गाय के अन्य नाम देसण, गुजराती, सूरती और काठियावाड़ी भी हैं. गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में इसका पालन ज्यादा होता है. बाजार में इसकी कीमत करीब 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक हो सकती है. गिर गाय का दूध अपनी खास गुणवत्ता और स्वाद के लिए जाना जाता है.
थारपारकर गाय: कम खर्च, स्थिर उत्पादन
थारपारकर गाय उन किसानों की पहली पसंद बन रही है, जो कम खर्च में स्थिर दूध उत्पादन चाहते हैं. यह गाय रोजाना लगभग 12 से 16 लीटर दूध देती है और एक ब्यांत में 1700 से 1800 लीटर तक उत्पादन कर सकती है. उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में यह नस्ल खूब पाई जाती है. इसकी कीमत आमतौर पर 20 हजार से 60 हजार रुपये के बीच रहती है. मजबूत शरीर और शांत स्वभाव इसकी खास पहचान है.
साहिवाल गाय: डेयरी फार्मिंग की जान
साहिवाल गाय को डेयरी फार्मिंग की रीढ़ कहा जाता है. यह एक दिन में 10 से 20 लीटर तक दूध देती है और एक ब्यांत में 1800 से 2000 लीटर तक दूध उत्पादन कर सकती है. इसके अन्य नाम लंबी बार, मोंटागोमेरी और मुल्तानी हैं. यह नस्ल उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश में ज्यादा देखने को मिलती है. बाजार में इसकी कीमत 40 हजार से 1 लाख रुपये तक हो सकती है.
किसानों के लिए फायदे का सौदा
गिर, थारपारकर और साहिवाल-ये तीनों देसी गायें घरेलू और व्यावसायिक दुग्ध उत्पादन के लिए बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं. इनके अलावा नागोरी, राठी और हरियाणवी जैसी नस्लें भी घरेलू स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करती हैं. सही देखभाल, संतुलित आहार और साफ-सफाई के साथ इन गायों का पालन किया जाए, तो दूध और कमाई दोनों में शानदार बढ़ोतरी देखी जा सकती है.