लंपी स्किन डिजीज से मचा हड़कंप, पशुपालन विभाग ने जारी किया अलर्ट और बचाव के निर्देश
राज्य के कई जिलों में लंपी स्किन डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं. पशुपालन विभाग ने पशुपालकों को सतर्क रहने और संक्रमित पशुओं की पहचान पर तुरंत इलाज कराने की सलाह दी है. सरकार ने मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया है ताकि संक्रमण को शुरुआती स्तर पर ही रोका जा सके.
Lumpy Disease : सर्दियों की शुरुआत के साथ ही एक बार फिर किसानों और पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है. वजह है- लंपी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) का दोबारा फैलना. राज्य के कई जिलों में यह वायरस फिर से सक्रिय हो गया है, जिससे दूध उत्पादन और पशुओं की सेहत पर असर दिखने लगा है. सरकार ने तुरंत सतर्कता बढ़ाते हुए सभी जिलों को निगरानी और टीकाकरण के निर्देश दिए हैं. पशुपालकों से कहा गया है कि वे सावधानी बरतें और बीमारी के लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें.
किन जिलों में बढ़ा लंपी का प्रकोप?
मध्यप्रदेश के कई जिलों में लंपी वायरस के नए मामले सामने आए हैं. झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर और भोपाल में इस वायरस ने फिर सिर उठाया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये क्षेत्र इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. उन्होंने कहा कि बीमारी को रोकने का सबसे असरदार तरीका टीकाकरण है. इसलिए सभी पशुपालकों से अपील की गई है कि वे अपने मवेशियों का तुरंत लम्पी वायरस का प्रतिबंधात्मक टीकाकरण करवाएं.
संक्रमित पशुओं को रखें अलग, सफाई पर दें जोर
पशुपालन विभाग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जो पशु संक्रमित हैं, उन्हें तुरंत स्वस्थ पशुओं से अलग कर दिया जाए. उन्हें छाया वाले, सूखे और साफ स्थान पर रखें. विभाग ने चेतावनी दी है कि किल्ली, मक्खी और मच्छर जैसे कीड़े इस बीमारी के मुख्य वाहक हैं. इसलिए रोजाना कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें और पशुशाला की नियमित सफाई बनाए रखें. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर साफ-सफाई का ध्यान नहीं रखा गया, तो बीमारी एक पशु से दूसरे में बहुत तेजी से फैल सकती है.
राज्य में मुफ्त टीकाकरण से मिलेगी बड़ी राहत
लंपी वायरस पर रोकथाम के लिए सरकार ने मुफ्त टीकाकरण अभियान शुरू किया है. अप्रैल 2025 से अब तक 41.5 लाख पशुओं का एलएसडी (LSD) टीकाकरण किया जा चुका है. विभाग ने टीकों की पर्याप्त व्यवस्था की है और फील्ड स्टाफ को तेजी से काम करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही, किसानों को फ्री एडवाइजरी सेवा भी दी जा रही है, जिससे वे बीमारी की शुरुआती पहचान और सही इलाज कर सकें. पशुपालकों को यह भी बताया जा रहा है कि यदि कोई नया मामला दिखे तो तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय में सूचना दें.
क्या है लंपी स्किन डिजीज और कैसे फैलता है?
लंपी स्किन डिजीज एक वायरस जनित संक्रामक बीमारी है, जो मुख्यतः गाय-भैंस जैसे पशुओं में होती है. यह रोग मच्छर, मक्खी या किल्ली के काटने से एक पशु से दूसरे में फैलता है. इस बीमारी के प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-
- पशु को हल्का बुखार और भूख में कमी
- त्वचा पर गोल गठानें (Lumps)
- मुंह व गले में सूजन
- दूध उत्पादन में भारी कमी
- गर्भपात या बांझपन की समस्या
गंभीर मामलों में पशु की मौत भी हो सकती है. आमतौर पर संक्रमित पशु 2 से 3 हफ्तों में ठीक हो जाता है, लेकिन दूध देने की क्षमता पर इसका असर लंबे समय तक बना रहता है.
लंपी के लक्षण दिखें तो तुरंत करें ये उपाय
अगर आपके पशुओं में लंपी रोग के लक्षण दिखने लगें, तो तुरंत सावधानी बरतना जरूरी है. बीमार पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें और मक्खियों-मच्छरों से बचाव के लिए कीटनाशक दवा का छिड़काव करें. पशु के घावों पर एंटीसेप्टिक दवा लगाएं और रोजाना पशुशाला की सफाई कर सूखा वातावरण बनाए रखें. साथ ही, नजदीकी पशु चिकित्सक से तुरंत संपर्क कर टीकाकरण और इलाज करवाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती लक्षणों में इलाज शुरू करने से लंपी रोग के फैलाव को आसानी से रोका जा सकता है और पशु जल्दी स्वस्थ हो सकता है. सतर्कता ही सबसे बड़ा बचाव है
सरकार का कंट्रोल रूम और जागरूकता अभियान जारी
लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम और निगरानी के लिए भोपाल में राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम बनाया गया है. पशुपालक किसी भी जानकारी या सहायता के लिए फोन नंबर – 0755-2767583 पर संपर्क कर सकते हैं. सभी जिलों के अधिकारियों को केंद्र सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक रिपोर्टिंग और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. विभाग लगातार गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चला रहा है. किसानों को बताया जा रहा है कि यह बीमारी घबराने की नहीं, बल्कि सावधानी की है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय पर टीकाकरण और सफाई की आदत डाली जाए, तो लंपी स्किन डिजीज पूरी तरह नियंत्रण में लाई जा सकती है.