Poultry Farming: ठंड बढ़ते ही बढ़ा बर्ड फ्लू का खतरा, मुर्गी पालकों के लिए बिहार सरकार का अलर्ट
Bird Flu: सर्दी के मौसम में बर्ड फ्लू को लेकर लोगों में चिंता बढ़ जाती है. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने साफ किया है कि सही जानकारी और सावधानी से इस बीमारी से बचाव संभव है. मुर्गी पालकों और आम लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.
Poultry Farming : सर्दी के मौसम में जैसे ही पक्षियों की बीमारियों की खबर आती है, गांव से लेकर शहर तक लोग घबरा जाते हैं. खासकर मुर्गी पालने वाले किसानों और आम लोगों के मन में बर्ड फ्लू को लेकर कई सवाल उठते हैं. बिहार सरकार के डेयरी, मत्स्य एवं पशु संसाधन विभाग ने साफ किया है कि बर्ड फ्लू से डरने की नहीं, बल्कि समझदारी से सावधानी बरतने की जरूरत है. अगर समय रहते सही कदम उठाए जाएं, तो नुकसान से बचा जा सकता है.
क्या है बर्ड फ्लू और कैसे फैलता है
बिहार पशुपालन विभाग के अनुसार, बर्ड फ्लू एक वायरस से होने वाली बीमारी है, जो मुख्य रूप से मुर्गियों और अन्य पक्षियों में पाई जाती है. यह बीमारी खासतौर पर जंगली जल पक्षियों से घरेलू मुर्गियों में फैलती है. संक्रमित पक्षी के संपर्क में आने, उसकी बीट, पंख या मुंह-नाक से निकलने वाले म्यूकस को छूने से यह बीमारी फैल सकती है. इंसानों में भी संक्रमण का खतरा रहता है, खासकर बच्चों में. इसलिए बीमार या मरे हुए पक्षियों से दूरी बनाना बहुत जरूरी है.
इंसानों में दिखने वाले लक्षण और बचाव
अगर किसी व्यक्ति को तेज बुखार, जुकाम, नाक बहना या सांस लेने में दिक्कत हो और हाल ही में वह बीमार पक्षियों के संपर्क में आया हो, तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को सूचना दें. विभाग के अनुसार, बर्ड फ्लू का वायरस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर नष्ट हो जाता है. यानी अगर अंडा या चिकन अच्छी तरह पकाया गया हो, तो उसे खाने से कोई नुकसान नहीं होता. अधपका मांस या कच्चा अंडा खाने से बचें.
मुर्गी पालकों के लिए जरूरी सावधानियां
मुर्गी पालकों को अपने पक्षियों को हमेशा बाड़े में रखना चाहिए और अनावश्यक लोगों को अंदर आने से रोकना चाहिए. अलग-अलग प्रजाति के पक्षियों को एक साथ न रखें. बाड़े और आसपास की जगह की रोजाना सफाई करें और समय-समय पर चूना या कीटाणुनाशक दवा का छिड़काव करें. पक्षियों को साफ पानी और ताजा संतुलित आहार दें. अगर नया पक्षी लाते हैं, तो उसे कम से कम 30 दिन तक बाकी पक्षियों से अलग रखें.
लक्षण दिखें तो छुपाएं नहीं, तुरंत दें सूचना
अगर मुर्गियों की आंख, गर्दन या सिर में सूजन हो, आंखों से पानी आ रहा हो, टांगों या कलगी में नीलापन दिखे, अचानक पक्षी कमजोर हो जाएं, अंडा देना कम कर दें या अचानक ज्यादा मौत होने लगे, तो यह खतरे का संकेत है. ऐसी स्थिति में बीमार या मरे हुए पक्षियों को न छुएं और तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सालय को सूचना दें. संक्रमित पक्षियों का सुरक्षित तरीके से निपटान करना जन स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है. बिहार सरकार का साफ संदेश है-बर्ड फ्लू से घबराएं नहीं, लेकिन लापरवाही भी न करें. सही जानकारी और सावधानी ही आपके परिवार और आपके व्यवसाय की सबसे बड़ी सुरक्षा है.