अंडा-चिकन से भी ज्यादा पौष्टिक टिंडा की ये किस्म, एक एकड़ में होगी लाखों की कमाई

माही किस्म का सबसे बड़ा फायदा इसकी अधिक पैदावार है. एक एकड़ में लगभग 70–75 क्विंटल तक फसल निकल जाती है. बाजार में टिंडे की कीमत मौसम के अनुसार 25 से 40 रुपये प्रति किलो तक रहती है. इस वजह से किसान एक एकड़ से 2 से 3 लाख रुपये तक की आमदनी आसानी से कमा लेते हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Nov, 2025 | 08:23 AM

Farming Tips: आज की जिंदगी में लोग अपनी सेहत को लेकर पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो गए हैं. बाजार में हरी सब्जियों की मांग तेजी से बढ़ी है और इनमें टिंडा ऐसी सब्जी है, जिसकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती जा रही है. गोल आकार, हल्के स्वाद और पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण इसे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई पसंद करता है. इसी बीच टिंडे की माही किस्म किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर सामने आई है. यह न सिर्फ तेजी से तैयार होती है, बल्कि कम लागत में किसानों को अच्छी आमदनी भी दिलाती है.

टिंडा क्यों कहलाता है सुपरफूड जैसी सब्जी?

टिंडा एक हल्की और आसानी से पचने वाली सब्जी है, लेकिन पोषक तत्वों के मामले में यह कई भारी खाद्य पदार्थों को भी मात दे देता है. इसमें प्रोटीन, आयरन, फाइबर, विटामिन C, कैल्शियम और एंटी-ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि डॉक्टर इसे गर्मियों के मौसम में खासतौर पर खाने की सलाह देते हैं.

टिंडा शरीर की गर्मी को कम करता है, पाचन सुधारता है और वजन नियंत्रण में मदद करता है. कई विशेषज्ञ तो इसे अंडे और चिकन से भी ज्यादा पौष्टिक बताते हैं, क्योंकि यह शरीर को हल्का रखने के साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है.

माही किस्म बनी किसानों की पहली पसंद

बाजार में टिंडे की कई किस्में मिलती हैं, लेकिन माही किस्म कई वजहों से सबसे आगे है. यह किस्म बेहद तेजी से बढ़ती है और सामान्य कीटों के प्रति अधिक सहनशील होती है. इसका पौधा मजबूत होता है और फल एक जैसे आकार के, कोमल और आकर्षक दिखाई देते हैं, जो मंडी में अच्छी कीमत दिलाते हैं.

किसानों के अनुसार, यह किस्म कम मेहनत में अधिक उपज देती है. जहां सामान्य टिंडा 55–60 दिन में तैयार होता है, वहीं माही किस्म 45–50 दिन में ही बाजार जाने लायक हो जाती है. यही इसकी सबसे बड़ी खासियत मानी जाती है.

कैसे होती है माही किस्म की खेती आसान और सफल?

माही किस्म की खेती रेतीली दोमट मिट्टी में सबसे बेहतर होती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो. खेत में जैविक खाद मिलाने से पौधों की वृद्धि तेज होती है. किसान आमतौर पर गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करते हैं.

खेत की तैयारी के बाद सामान्य दूरी बनाकर बुवाई की जाती है. एक एकड़ खेत में सिंचाई का खर्च भी कम आता है, क्योंकि यह पौधा अत्यधिक पानी नहीं मांगता. नियमित निराई-गुड़ाई और जैविक कीटनाशक इस्तेमाल करने से फसल स्वस्थ रहती है.

उपज और कमाई

माही किस्म का सबसे बड़ा फायदा इसकी अधिक पैदावार है. एक एकड़ में लगभग 70–75 क्विंटल तक फसल निकल जाती है. बाजार में टिंडे की कीमत मौसम के अनुसार 25 से 40 रुपये प्रति किलो तक रहती है. इस वजह से किसान एक एकड़ से 2 से 3 लाख रुपये तक की आमदनी आसानी से कमा लेते हैं. खर्च कम और मुनाफा ज्यादा होने के कारण यह सब्जी अब व्यावसायिक खेती में किसानों की पहली पसंद बन चुकी है.

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