गांव में मुर्गी पालन करने वाले किसान आजकल फर्मेंटेड फीड का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. ये आहार मुर्गियों के लिए सस्ता, जल्दी पचने वाला और ताकत देने वाला होता है.फर्मेंटेड फीड मुर्गियों के लिए जितनी असरदार होती है, उतनी ही संवेदनशील भी. थोड़ा सा तापमान गड़बड़ाया, नमी बिगड़ी तो फीड में खराब बैक्टीरिया पनपने लगते हैं और पोल्ट्री को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए फर्मेंटेड फीड बनाते समय साफ-सफाई और सही तापमान का खास ध्यान जरूरी है.
मुर्गियों का पौष्टिक आहार
फर्मेंटेड फीड मुर्गियों के लिए पौष्टिक, पचने में आसान और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली होती है. लेकिन इसकी तैयारी में बहुत सावधानी की जरूरत होती है. अगर तापमान ज्यादा हो गया या नमी कम-ज्यादा हो गई तो सूक्ष्मजीवों का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे फीड में फफूंदी या हानिकारक बैक्टीरिया बन सकते हैं.
दो तरीकों से बनता है फर्मेंटेशन
1. सॉलिड-स्टेट फर्मेंटेशन (SSF)
इसमें सूखे अनाज या चोकर को हल्का गीला कर फर्मेंट किया जाता है। यह तरीका गांवों में पोल्ट्री पालकों के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें कम संसाधनों की जरूरत होती है
2. सबमर्ज्ड फर्मेंटेशन (SMF)
इसमें तरल सामग्री जैसे गुड़ का घोल या चावल का पानी मिलाया जाता है. यह आमतौर पर बड़े पोल्ट्री फार्म या प्रोफेशनल फीड मिलों में उपयोग होता है.
कैसे बनाएं फर्मेंटेड फीड
इस प्रक्रिया में आहार को एक निश्चित समय तक बिना हवा वाली जगह में रखा जाता है. इसमें लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया सक्रिय होते हैं जो फीड को खट्टा और सुपाच्य बनाते हैं. फीड को कंटेनर में बंद करके रखा जाता है और 3-5 दिन तक फर्मेंट होने दिया जाता है. तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस और नमी 60-70 फीसदी होनी चाहिए.
इन बातों का रखें खास ध्यान
- साफ-सफाई सबसे जरूरी है, गंदगी से हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं.
- फीड को जरूरत से ज्यादा देर तक न रखें, नहीं तो वह सड़ सकता है.
- हर दिन फीड को हल्के से हिलाएं ताकि बैक्टीरिया का वितरण समान हो.
- अगर फीड से बदबू आने लगे या रंग बदल जाए तो उसे तुरंत हटा दें.