पोल्ट्री फार्मिंग में उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने के लिए कई किसान इन दिनों फर्मेंटेड चारा (Fermented Feed) का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह तरीका भले ही पोषण बढ़ाने और पाचन सुधारने के लिए अच्छा माना जाता हो, लेकिन अगर इसमें जरा भी लापरवाही हुई तो नुकसान भारी हो सकता है. गड़बड़ी हुई तो न सिर्फ चारा खराब हो सकता है, बल्कि मुर्गियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है. आइए जानते हैं कि गलत फर्मेंटेशन से कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं और कैसे बचा जा सकता है इस नुकसान से.
फफूंद और मायकोटॉक्सिन
यदि फर्मेंटेशन के दौरान pH स्तर 4.5 से ऊपर रहा या नमी ज्दा हो गई तो मोल्ड यानी फफूंद आसानी से पनप सकते हैं. ये फफूंद मायकोटॉक्सिन नाम के जहरीले तत्व छोड़ते हैं, जो अक्सर दिखते नहीं और न ही उनकी गंध आती है. लेकिन असर गंभीर होता है, फीड का सेवन कम हो जाता है, पक्षियों की ग्रोथ रुक जाती है, इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और लंबे समय तक इनका सेवन अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि फर्मेंटेशन सही तापमान और साफ-सफाई के साथ किया जाए, pH को मापा जाए और फीड को सूखी, ठंडी जगह पर रखा जाए.
पोषक तत्वों की हानि
फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में अगर तापमान या समय का ध्यान न रखा जाए तो उसमें मौजूद जरूरी अमीनो एसिड जैसे लाइसिन और थ्रेओनीन नष्ट हो सकते हैं. ये तत्व पोल्ट्री के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं. जब ये घटते हैं तो फीड भले दिखने में ठीक लगे, लेकिन उसमें पौष्टिकता कम हो जाती है. इसका सीधा असर पक्षियों की ग्रोथ और उत्पादन पर पड़ता है. इसलिए फर्मेंटेशन करते समय वैज्ञानिक तरीकों का पालन करना बेहद जरूरी है.
खराब भंडारण और कीट समस्या
कई बार किसान किण्वित फीड को लंबे समय तक खुला छोड़ देते हैं या उसे ऐसे तापमान में रखते हैं जहां वह जल्दी खराब हो जाता है. इससे उसमें खटास, बदबू और रंग में बदलाव आने लगता है, जिससे पोल्ट्री उसे खाना ही बंद कर देती है. साथ ही, गर्मी और नमी से मक्खी, चींटी और अन्य कीड़े उस फीड की तरफ आकर्षित हो जाते हैं, जो संक्रमण और बीमारियों को जन्म दे सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि फीड को ठंडी, अंधेरी और साफ जगह में रखा जाए और समय-समय पर उसकी जांच की जाए.