इस राज्य में फैली रहस्यमयी बीमारी, अचानक पशुओं की हो रही मौत.. किसानों में दहशत

तमिलनाडु के कृष्णागिरी में वायरल बुखार और त्वचा रोग के कारण पिछले एक महीने में 12 बछड़े मर गए. निजी चिकित्सक इलाज कर रहे हैं, लेकिन सरकारी विभाग अभी तक सक्रिय नहीं हुआ. पशुपालन विभाग जल्द ही एथाकिनारू और आसपास के क्षेत्रों में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाने की तैयारी कर रहा है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 16 Nov, 2025 | 11:06 AM

Tamil Nadu Agriculture News: तमिलनाडु के कृष्णागिरी में एक रहस्यमयी बीमारी फैल गई है. इस बीमारी की चेपट में आने से मवेशियों की मौत हो रही है. इससे पशुपालकों में दहशत का माहौल बना हुआ है. किसानों कहा कहना है कि अगर समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया तो मवेशियों की और मौतें हो सकती हैं. इससे दूध उत्पादन पर असर पड़ेगा, जससे किसानों की आर्थिक नुकसान हो सकता है. हालांकि, किसानों की शिकायत के बाद भी पशुपालन विभाग एक्शन में नहीं आया है. प्राइवेट चिकित्सक बीमार जानवरों का इलाज कर रहे हैं. प्राइवेट पशु चिकित्सकों को कहना है कि किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, जल्द ही इस बीमारी पर काबू पा लिया जाएगा. बस किसानों को अपने मवेशियों की सही तरीके से देखरेख करनी होगी.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कृष्णागिरी जिले के एथाकिनारू गांव और आसपास के इलाके में पिछले एक महीने में वायरल बुखार और त्वचा रोग के शक में 12 बछड़े मर गए. ग्रामीणों ने पशुपालन विभाग से बछड़ों की मौत रोकने के लिए कदम उठाने की मांग की है, क्योंकि इससे मवेशी पालन करने वालों को बड़ा नुकसान हो रहा है. एथाकिनारू के 55 वर्षीय एम कुमार ने कहा कि पिछले हफ्ते उनके बछड़े की मौत हो गई, जिसकी कीमत कम से कम 15,000 रुपये थी. उनके जैसे कम से कम छह किसान पिछले दो हफ्तों में इसी बीमारी से बछड़े खो चुके हैं. उन्होंने कहा कि विभाग को बछड़ों के लिए विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाना चाहिए.

25 बछड़े वायरल बुखार से पीड़ित हैं

एक अन्य ग्रामीण टी कलीप्पन (70) ने कहा कि उनके दो बछड़े मर गए और आसपास के कम से कम 25 बछड़े वायरल बुखार से पीड़ित हैं. उन्होंने कहा कि निजी पशु चिकित्सक गांवों में आकर इलाज कर रहे हैं, लेकिन सरकारी चिकित्सक उनके घरों तक नहीं पहुंच रहे. नत्रंपालयम के पशु चिकित्सक विजय ने कहा कि यह वायरल त्वचा रोग का शक है, लेकिन इसकी पुष्टि जरूरी है. पिछले चार महीनों में लम्पी स्किन डिजीज  (LSD) रोकने के लिए करीब 6,300 गोत पोक्स टीके लगाए गए हैं, लेकिन यह देखना होगा कि यह LSD है या कोई अन्य वायरल बीमारी. कृष्णागिरी के क्षेत्रीय संयुक्त निदेशक K एलवारासन ने कहा कि एथाकिनारू और आसपास के इलाके में इस मुद्दे को लेकर विशेष शिविर लगाया जाएगा.

मध्य प्रदेश में लंपी वायरस का प्रकोप

वहीं, शुक्रवार को मध्य प्रदेश के कई जिलों में लंपी वायरस के नए मामले सामने आए थे. झाबुआ, रतलाम, बैतूल, बड़वानी, सिवनी, सागर और भोपाल में इस वायरस ने फिर सिर उठाया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ये क्षेत्र इस समय सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. ऐसे में बीमारी को रोकने का सबसे असरदार तरीका टीकाकरण है. इसलिए सभी पशुपालकों से अपील की गई है कि वे अपने मवेशियों का तुरंत लम्पी वायरस का प्रतिबंधात्मक टीकाकरण  करवाएं.

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Published: 16 Nov, 2025 | 09:13 AM

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