असम में कैसे एक किसान मिर्ची उगाकर हर साल कमा रहा 15 लाख रुपये

एक किसान परिवार से आने वाले लचित 8 बीघा खेत को संभालते हैं. साल 2024 में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 50-60 क्विंटल भूत जोलोकिया मिर्ची की खेती की. इससे उन्हें 15 लाख का बड़ा मुनाफा हुआ.

Kisan India
Noida | Updated On: 15 Mar, 2025 | 05:40 PM

असम की मिर्ची भूत जोलोकिया को चिली किंग के तौर पर जाना जाता है. इसी मिर्च ने यहां के एक किसान लाचित गोगोई को भी किसानों के बीच ‘किंग’ का दर्जा दे डाला है. असम के धेमाजी के रहने वाले 30 साल के लचित पिछले चार साल से भूत जोलोकिया की खेती करके खेती के क्षेत्र में एक खास पहचान बना चुके हैं. दिलचस्‍प बात है कि लचित के पास कई अच्‍छी नौकरियों के मौके थे. इसके बावजूद उन्‍होंने खेती को चुना और उनका यह फैसला उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ है.

8 बीघा खेत पर उगा रहे मिर्ची

नर्सरी टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार एक किसान परिवार से आने वाले लचित 8 बीघा खेत को संभालते हैं. लेकिन उन्होंने सिर्फ चार बीघा खेत से खेती की शुरुआत की थी. साल 2024 में उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उन्होंने 50-60 क्विंटल भूत जोलोकिया मिर्ची की खेती की. इससे उन्हें 15 लाख का बड़ा मुनाफा हुआ. वर्मीकम्पोस्ट और ऑर्गेनिक खाद सहित बाकी जैविक तरीकों के इस्तेमाल और कीट नियंत्रण के सावधानीपूर्वक प्रबंधन के जरिए लचित ने इस मिर्ची की खेती में सफलता हासिल की. साथ ही अब खेती उनके लिए एक फायदेमंद और टिकाऊ बिजनेस के तौर पर सामने आई है.

ड्रिप इरीगेशन को दी प्राथमिकता

बेहतर सिंचाई व्‍यवस्‍था के लिए लचित ने ड्रिप सिंचाई को चुना. इससे वॉटर मैनेजमेंट तो बेहतर हुआ ही साथ ही साथ फसल की हेल्‍थ में भी सुधार हुआ. असम में कई सीमांत किसानों के लिए ड्रिप सिंचाई आज भी लग्‍जरी है. लेकिन लाचित के लिए सरकारी सब्सिडी ने इसे और ज्‍यादा आसान बना दिया. आर्थिक मदद के चलते उन्हें इस प्रणाली पर प्रति हेक्टेयर सिर्फ 60,000 रुपये ही खर्च करने पड़े. ड्रिप सिंचाई मिट्टी के कटाव और खरपतवार की वृद्धि को रोकती हैं. इससे भरपूर उत्पादन सुनिश्चित होता है.

रास्‍त में चुनौतियां भी बहुत

वहीं इतनी बड़े सफलता के बावजूद, लचित की चुनौतियां कम नहीं हुईं. उन्हें कीटों और फसल रोगों से निपटना पड़ा, खासकर फूल और फल लगने के चरणों के दौरान. लाचित जरूरत के अनुसार ही कीटनाशकों का प्रयोग करते हैं. असम में भारी बारिश और बाकी प्राकृतिक आपदाएं भी उनकी फसलों को प्रभावित करती हैं. अच्छी गुणवत्ता वाले बीज हासिल करना भी लचित के लिए एक और बड़ी समस्या है.

हमेशा से ऑर्गेनिक फार्मिंग के पक्षधर

लचित हमेशा ही ऑर्गेनिक फार्मिंग के पक्ष में रहे हैं. वर्तमान में, वह कुछ कीटनाशकों का उपयोग कर रहे हैं. हालांकि वह अपने खेत पर ऑर्गेनिक प्रैक्टिस शुरू करने के लिए तैयार हैं. आने वाले समय में उनकी ख्‍वाहिश पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती की तरफ स्विच करने की है. लचित ने कड़ी मेहनत, आधुनिक तकनीकों को अपनाने और अपनी नई सोच के दम पर सफलता हासिल कीऔर खेती को एक फायदेमंद करियर में बदल दिया. उन्‍होंने अपने क्षेत्र के बाकी युवाओं को भी खेती की तरफ कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है. उनका कहना है कि ऐसा करके युवा फाइनेंशियल सिक्‍योरिटी और स्थिरता के मार्ग के तौर पर खेती और बागवानी में मौजूद विकल्‍पों के बारे में पता लगा सकेंगे.

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Published: 15 Mar, 2025 | 05:40 PM

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