वकालत छोड़ किसान बने बस्ती के राम मूर्ति, आज सालाना कमा रहे 15 लाख रुपये

यूपी के बस्ती जिले के किसान राम मूर्ति ने बताया कि वकालत के दिनों में लोगों के आने का इंतजार करना पड़ता था, कभी-कभी सर पर उधार भी हो जाता था. लेकिन जब से खेती की शुरुआत की तब से आमदनी में बढ़ोतरी हुई है.

लखनऊ | Updated On: 2 Jun, 2025 | 12:41 PM

Champion Kisan Ram Murti Mishra : आमतौर पर लोगों का ऐसा मानना होता है कि खेती-किसानी में पैसा नहीं है तो वहीं कुछ लोग ऐसा भी सोचते हैं कि खेती करने वाले किसान कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं. लेकिन ऐसा सोचना और मानना गलत है. आज हमारी ‘चैंपिन किसान’ सीरीज में हम बात कर रहे हैं चैंपियन किसान राम मूर्ति मिश्रा की जो कि उत्तर प्रदेश में बस्ती जिले के विकास खंड सदर में गौरा गांव के रहने वाले हैं.

किसान राम मूर्ति मिश्रा ने उच्च शिक्षा लेने के बाद वकालत की, लेकिन बाद में उन्होंने खेती-किसानी की तरफ रुख किया है. खेती-किसानी से न केवल वे अच्छी कमाई करते हैं बल्कि दूसरे किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं. किसानी के बलबूते इन्होंने पूरा भारत घूम लिया है. किसान राम मूर्ति मिश्रा को टोपी, चश्मा और बुलेट वाला किसान भी कहा जाता है.

वकालत छोड़ क्यों बने किसान

किसान इंडिया से बात करते हुए राम मूर्ति मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रयागराज (इलाहाबाद ) से एलएलबी की पढ़ाई की है लेकिन पिता की खराब सेहत के चलते उन्हें लगातार गांव के चक्कर लगाने पड़ते थे. अपने पिता की दिन पर दिन ढलती तबियत के चलते उन्होंने फैसला किया कि वे पढ़ाई छोड़कर गांव में ही रहकर अपने पिता की सेवा करेंगे. क्योंकि खेती उनका खानदानी पेशा है इसलिए पिता की सेवा के साथ-साथ राम मूर्ति मिश्रा ने 12 एकड़ जमीन पर खेती भी शुरू की.

साल 1999 में पिता के निधन के बाद भी उन्होंने खेती किसानी को जारी रखी. खेती के साथ-साथ राम मूर्ति ने पशुपालन भी शुरू किया. अपने घर में गाय और भैंस पाल कर इन्होंने जैविक खेती को बढ़ावा दिया. पूर्वांचल में राम मूर्ति मिश्रा की गिनती प्रगतिशील किसानों में की जाती है.

गन्ना और बासमती की खेती से शुरुआत

चैंपियन किसान राम मूर्ति मिश्रा ने लगभग 10 बीघा खेत मे गन्ने की अच्छी बीज को लगाया. बीज मिलने मे थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन कुछ कोशिशों के बाद गन्ने के बीज मिल गए और अच्छी फसल भी तैयार की जिससे इनको अच्छी आमदनी भी मिली. वहीं, उस समय बासमती चावल की खुशबू की बाजारों मे बहुत मांग थी तो इन्होंने टाइप-3 बासमती चावल की भी आधुनिक तरीके से खेती करना शुरू किया. बासमती चावल की खेती से इनको लगभग 35 हजार रुपए का मुनाफा हुआ. बाजारों में इनके उगाए चावल के साथ-साथ इनका भी नाम आगे बढ़ने लगा.

एक एकड़ जमीन पर राजमा की खेती

राम मूर्ति मिश्रा ने आधुनिक तरीके को अपनाकर एक एकड़ जमीन पर राजमा की खेती की शुरुआत की. राजमा की खेती से इन्हें अच्छी पैदावार मिली और जिला कृषि विभाग की ओर से इन्हें पुरस्कार भी दिया गया है. आज राम मूर्ति मिश्रा कहते हैं कि अगर वे इलाहाबाद में ही वकालत करते रहते तो उनके घर की खेती-बाड़ी खत्म हो जाती और न वे अपने पिता की सेवा कर पाते न ही उनके अपने कई सपने थे जो कभी पूरे हो पाते.

safal kisan

Ram Murti Mishra in his farm

सीजनल सब्जियों की खेती से कमाई

रोज की कमाई के लिए चैंपियन किसान राम मूर्ति मिश्रा ने सीजन वाली सब्जियों की भी खेती करना शुरू किया, जिससे हर दिन उन्हे 500 से ज्यादा की आमदनी हो जाती थी. कुल मिलाकर इन सीजनल सब्जियों की खेती कर वे हर महीने लगभग 15 से 20 हजार रूपये की आमदनी कर लेते थे. किसान राम मूर्ति ने बताया कि जिस भी क्षेत्र में मेहनत की जाएगी. वहां सफलता मिलेगी. उन्होंने बताया वकालत के दिनों में लोगों के आने का इंतजार करना पड़ता था, कभी-कभी सर पर उधार भी हो जाता था. लेकिन जब से उन्होंने खेती की शुरुआत की तब से न केवल आमदनी में बढ़ोतरी हुई बल्कि वे अपने आसपास के क्षेत्र में भी लोकप्रिय होने लगे.

brinjal farming

Seasonal Farming by Ram Murti Mishra

आम के बाग को बनाया पैसे का पेड़

आपने कई बार लोगों के मुंह से सुना होगा कि वहां तो पैसे का पेड़ लगा है. ये कहावत हमारे चैंपियन किसान राम मूर्ति मिश्रा पर बिल्कुल सटीक बैठती है. उन्होंने बताया कि उनके खेत के पास ही एक बागीचा भी है जिसमें लगभग 30 से 32 आम के पेड़ लगे हुए हैं. आम के इन पेड़ों से हर साल करीब 60 से 80 हजार रुपये की कमाई होती है. बगीचे के बारे में बात करते हुए राम मूर्ति ने बताया कि एक बार अगर अच्छी किस्म के आम की पौध लगा दी जाए तो 5 साल के अंदर उससे अच्छा उत्पादन मिलना शुरु हो जाता है और ये लंबे समय तक कमाई देने का एक साधन बन जाते हैं.

2021 में मिला ‘नवोन्मेषी कृषक’ पुरस्कार

राम मूर्ति मिश्रा ने बताया कि खेती के ही बलबूते उन्होंने बेटे को एमबीए और बेटी को एमएसडब्लू तक उच्च शिक्षा दिलावाई. आज उनके दोनों बच्चे अच्छी नौकरियां कर रहे हैं. खेती किसानी से ही होने वाली कमाई से राम मूर्ति मिश्रा ने पूरा भारत भी घूम लिया है. इसके साथ ही खेती ने राम मूर्ति मिश्रा को समाज में अलग पहचान दिलाई. साल 2021 में राम मूर्ति को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली द्वारा ’’नवोन्मेषी कृषक’’ पुरस्कार भी दिया गया. इसके अलावा भी वे बताते हैं कि जिलाधिकारी बस्ती एवं मंडलायुक्त की ओर से उन्हें पुरस्कृत किया गया है.

champion kisan

Ram Murti Mishra promotes organic farming

सरकारी योजनाओं का उठाया लाभ

राम मूर्ति मिश्रा ने सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठाया है .’फार्म मशीनरी बैंक’ जैसी सरकारी योजनाओं का इस्तेमाल किया, जिसके तहत उन्हें कृषि उपकरणों की खरीद में काफी मदद मिली. इसके अलावा, उन्होंने किसानों को भी ‘फसल बीमा योजना’ के बारे में बताया, ताकि अगर मौसम या अन्य कारणों से फसल खराब हो जाए, तो किसान बीमा के माध्यम से नुकसान की भरपाई कर सकें.

राम मूर्ति मिश्रा का कहना है कि खेती एक साधना है, देश के युवाओं को आगे आकर खेती भी करनी चाहिए. वे कहते हैं आज के समय में तो सभी संसाधन भी उपलब्ध हैं, पानी की कमी भी नहीं है. खाद, बीज सभी चीजें हर जगह उपलब्ध हैं. नौकरी के साथ-साथ अगर युवा चाहें तो खेती बहुत ही आसानी से कर सकते हैं और लाखों रुपये भी कमा सकते हैं.

खेती में आईं कई चुनौतियां

राम मूर्ति मिश्रा ने खेती में आने वाली चुनौतियों पर भी बात की. उन्होंने बताया कि कई बार खेत की सिंचाई करने के लिए डीजल दूर से लाना पड़ता था. अगर सिंचाई करने वाली मशीन खराब हो जाती थी तो उसको बनवाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती थी. कभी-कभी जब खेत की सिंचाई पूरी होने को होती थी तभी मशीन खराब हो जाती जिससे बहुत निराशा होती थी.

दवा छिड़काव करने के लिए पहले मशीन नहीं थी तो दिक्कत होती थी, समय ज्यादा लगता था. उन्होंने बताया कि भले ही वो खाएं या न खाएं बैलों की जोड़ी को भरपूर चारा दिया जाता था. उन्होंने बताया कि उस समय बहुत कम लोगों के पास ट्रैक्टर हुआ करता था. ऐसे में अपने खेतों की जुताई दौ बैलों की जोड़े से करवाते थे, जिसके लिए पहले वो बैलों के चारे का इंतजाम करते थे. वे बताते हैं कि चुनौतियां तो बहुत आईं लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी.

कई फसलों की खेती से सालाना 15 लाख तक कमाई

गेहूं, धान, सरसों के अलावा भी किसान राम मूर्ति कई फसलों की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में लगभग 15 बीघे जमीन पर गन्ने की फसल लगी हुई है, जिसकी लगातार मरम्मत की जा रही है. परवल, लौकी सहित अन्य सब्जियां मौके पर तैयार हैं और इनसे लगभग 12 से 15 सौ रुपये तक हर दिन की आमदनी होती है. धान और गहूं की फसल से लगभग इनके द्वारा हर साल 3 से 4 लाख रुपया कमाया जा रहा है.

वहीं, अन्य फसलों को मिलाकर इन्हें लगभग 12 से 15 लाख रूपया की कमाई हो रही है. साथी किसानों को राम मूर्ति मिश्रा यही सलाह देते हैं कि कई बार खेती में बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है लेकिन उस समस्या को कभी भी बड़ा न बनने दें. हमेशा हर तरह की परेशानी और चुनौती से लड़ने को तैयार रहें. समस्या को और बड़ा बनाने की जगह उसका समाधान निकालने की कोशिश करें.

Published: 2 Jun, 2025 | 11:37 AM