भारत के किसानों और कृषि निर्यातकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने देश के तीन नए शहरों पटना, रायपुर और देहरादून में अपने क्षेत्रीय कार्यालय खोलने का फैसला किया है. इस कदम का उद्देश्य छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को सीधे निर्यात से जोड़ना और उन्हें वैश्विक बाजार तक पहुंच दिलाना है. अभी तक एपीडा का मुख्यालय दिल्ली में है और इसके 16 क्षेत्रीय कार्यालय बेंगलुरु, श्रीनगर, जम्मू, लद्दाख, गुवाहाटी, मुंबई, वाराणसी, कोच्चि और भोपाल जैसे शहरों में मौजूद हैं.
किसानों और निर्यातकों को मिलेगा सीधा लाभ
इन नए कार्यालयों के खुलने से बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड जैसे राज्यों के किसानों को बड़ा फायदा हो सकेगा. यहां के किसान चावल, फल, सब्जियां, दालें और ऑर्गेनिक उत्पाद बड़ी मात्रा में पैदा करते हैं. लेकिन अक्सर उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. एपीडा का यह कदम उनकी समस्याओं को कम करेगा और उन्हें पैकेजिंग, क्वालिटी कंट्रोल और निर्यात मानकों की जानकारी समय पर मिलेगी और किसानों को फसल का सही दाम भी मिल सकेगा.
कृषि निर्यात में भारत की बढ़ती ताकत
भारत के कृषि निर्यात ने हाल के वर्षों में बड़ी छलांग लगाई है. 2024-25 में यह आंकड़ा 50 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गया. एपीडा लगातार ऐसे कदम उठा रहा है जिससे निर्यात का दायरा बढ़े. इसमें खासकर जीआई टैग वाले उत्पाद, ऑर्गेनिक फल-सब्जियां, प्रसंस्कृत जूस, बाजरा (मिलेट्स) से बने उत्पाद और उच्च गुणवत्ता वाला चावल शामिल हैं. एपीडा अब केवल परंपरागत उत्पादों जैसे अनाज और भैंस का मांस तक सीमित नहीं रहकर नए और वैल्यू-ऐडेड उत्पादों पर भी फोकस कर रहा है.
पैकेजिंग और रिसर्च पर जोर
वैश्विक बाजार में टिके रहने के लिए एपीडा आधुनिक पैकेजिंग तकनीकों को बढ़ावा दे रहा है, ताकि उत्पादों की शेल्फ लाइफ लंबी हो सके और ताजगी बनी रहे. साथ ही भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर रिसर्च भी किया जा रहा है. उदाहरण के लिए, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च और इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर बाजरा और चावल से वैल्यू-ऐडेड प्रोडक्ट्स तैयार करने पर काम हो रहा है.
किसानों के लिए ट्रेनिंग और कौशल विकास
एपीडा न सिर्फ निर्यात बढ़ाने पर ध्यान दे रहा है बल्कि किसानों और निर्यातकों को ग्लोबल क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड्स के बारे में भी प्रशिक्षण दे रहा है. इसके लिए वर्कशॉप, ट्रेनिंग प्रोग्राम और सेमिनार आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि किसान और स्टेकहोल्डर्स आधुनिक तकनीक और मानकों से परिचित हों.