भारत में सहकारी समितियों द्वारा किए जाने वाले कृषि निर्यात को मजबूत बनाने के लिए नेशनल को-ऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) और एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फ़ूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण समझौता (MoU) किया. यह समझौता किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करने, सहकारी समितियों को वैश्विक बाजार में मजबूती देने और भारत के कृषि निर्यात को नई ऊंचाई तक पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया है.
क्यों खास है यह समझौता
इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, MoU पर हस्ताक्षर को-ऑपरेशन मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूतानी की मौजूदगी में किए गए. APEDA की ओर से इसके अध्यक्ष अभिषेक देव और NCEL की ओर से प्रबंध निदेशक उनुपोम कौशिक ने साइन किया. अधिकारियों का कहना है कि NCEL और APEDA के नेटवर्क को जोड़ने से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा और भारत के सहकारी कृषि निर्यात को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूती मिलेगी.
मुख्य पहल और लाभ
इस साझेदारी के तहत कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे:-
कौशल और प्रशिक्षण: सहकारी समितियों के किसानों और अधिकारियों को वैश्विक गुणवत्ता मानकों, खाद्य सुरक्षा, और निर्यात प्रक्रिया की ट्रेनिंग दी जाएगी.
गुणवत्ता और मानक पालन: फलों, सब्जियों, मसालों, अनाज और प्रोसेस्ड फूड के निर्यात में गुणवत्ता नियंत्रण को सुनिश्चित किया जाएगा.
अवसंरचना समर्थन: निर्यात के लिए आवश्यक भंडारण, पैकिंग और लॉजिस्टिक सुविधाओं को बेहतर बनाया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग: किसानों और उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में पेश किया जाएगा और वैश्विक बाजार में ब्रांड की पहचान मजबूत की जाएगी.
किसानों के लिए अवसर और लाभ
इस समझौते से सहकारी समितियों के किसानों को नए बाजारों तक पहुंच मिलेगी और उनके उत्पादों का प्रीमियम मूल्य सुनिश्चित होगा. साथ ही, उन्हें वैश्विक स्तर के मानक और प्रक्रिया की जानकारी मिलेगी, जिससे उनका कृषि व्यवसाय और अधिक मजबूत होगा.
पंकज कुमार बंसल, अतिरिक्त सचिव, को-ऑपरेशन मंत्रालय ने कहा कि इस MoU से NCEL को APEDA का तकनीकी अनुभव और नीति सहयोग मिलेगा. इससे सहकारी समितियां अपने उत्पादों को विश्व स्तर पर बेच सकेंगी और किसानों की आय में वृद्धि होगी.
किसानों को मिलेगा लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, यह पहल “लोकल से ग्लोबल तक” का रास्ता खोलेगी. न केवल सहकारी किसानों को लाभ मिलेगा, बल्कि भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कृषि निर्यात में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया जाएगा. इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और किसानों को स्थायी रोजगार और आय के नए अवसर मिलेंगे.