Andhra Pradesh Agriculture News: आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में कम बारिश के कारण इस बार खरीफ सीजन में अब तक सिर्फ 53.43 फीसदी क्षेत्र में ही खेती हो पाई है. कृषि विभाग के मुताबिक, सितंबर के पहले हफ्ते तक किसानों ने 1.25 लाख हेक्टेयर के औसत के मुकाबले सिर्फ 69,000 हेक्टेयर में ही फसल बोई है.यानी करीब 2,000 हेक्टेयर में अब भी खेती नहीं हो पाई है. जिला कृषि अधिकारी एस. श्रीनिवास राव ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव के क्षेत्र के कारण मौसम विभाग ने दक्षिण तटीय जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई थी, लेकिन अब तक सिर्फ हल्की से मध्यम बारिश ही हुई है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां कुछ इलाकों में थोड़ी बारिश हुई, वहां किसानों ने अरहर (रेड ग्राम), मक्का, उड़द और चना जैसी दालें बोई हैं. कुछ किसानों ने बोरवेल के सहारे धान की खेती शुरू की है. लेकिन बड़ी संख्या में किसान अब भी अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं, ताकि खरीफ की नियमित बुवाई शुरू की जा सके. पिछले एक महीने, खासकर अगस्त में, प्रकाशम जिले में भीषण गर्मी और लू जैसी हालात रही, जिससे किसान खेती की शुरुआत नहीं कर पाए. चिमकुरती मंडल के किसान एम. सुब्बा राव ने कहा कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि अगले दो हफ्तों में अच्छी बारिश होगी, ताकि हम अपनी नियमित फसलों की बुवाई शुरू कर सकें.
किसानों ने शुरू की इसकी खेती
कई किसानों ने अब तंबाकू, कपास और मिर्च जैसी नकदी फसलों की जगह यूकेलिप्टस (जाम ऑयल) और सबबुल (कसुआरिना) जैसे पौधों की खेती शुरू कर दी है, जिन्हें कम पानी की जरूरत होती है. जिला कृषि अधिकारी एस. श्रीनिवास राव ने कहा कि 15 अक्टूबर से हम चने (बंगाल ग्राम) के बीज 30 फीसदी सब्सिडी पर देंगे. साथ ही उड़द और चने की अन्य दालों के बीज भी मिलेंगे. धान के बीज पर 5 रुपये प्रति किलो की छूट दी जाएगी. अभी हमारे पास 5,500 मीट्रिक टन यूरिया स्टॉक है, जिसमें हाल ही में 1,500 टन की नई सप्लाई भी शामिल है. अधिकारियों को उम्मीद है कि अगर जल्द ही अच्छी बारिश हुई, तो खरीफ सीजन की खेती सामान्य स्तर तक पहुंच जाएगी.
यूरिया की कमी से किसान परेशान
वहीं, 1 सितंबर को खबर सामने आई थी कि आंध्र प्रदेश के किसान इस खरीफ सीजन में यूरिया की कमी से परेशान हैं. तब किसान संगठनों और कृषि अधिकारियों के मुताबिक, राज्य में करीब 40 फीसदी यूरिया की कमी थी. यह समय यूरिया डालने के लिए बेहद अहम है और किसानों को डर है कि अगर सप्लाई में और देरी हुई तो फसल की पैदावार पर बुरा असर पड़ेगा. राज्य में खरीफ की खेती लगभग 31 लाख हेक्टेयर में होती है.