बैंगन की इन हाईब्रिड किस्मों की बुवाई करने पर होगी बंपर पैदावर, कीटों से बचाव के लिए अपनाएं ये उपाय

बैंगन की हाईब्रिड किस्में ज्यादा और लगातार उत्पादन देती हैं. इसलिए किसान बुवाई करते समय हाईब्रिड किस्मों का ही चयन करें. अगर आप सही किस्म का चुनाव करते हैं, तो हर सीजन में अच्छी कमाई कर सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 3 Sep, 2025 | 06:27 PM

Brinjal Cultivation: बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में किसानों ने बैंगन की बुवाई शुरू कर दी है. इसके लिए किसान खेतों को अच्छी तरह से तैयार कर रहे हैं. लेकिन कुछ किसान ऐसे भी हैं, जो बैंगन की बेहतरीन किस्मों को लेकर असमंजस की स्थिति में हैं. वे फैसला नहीं कर पा रहे हैं, कोन सी किस्म की बुवाई करें, ताकि बंपर पैदावर मिले. लेकिन अब ऐसे किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम बैंग की कुछ ऐसे किस्मों के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिससे कम समय और कम लागत में बंपर पैदावार होगी. लेकिन इसके साथ ही किसानों को कीटों से बैंगन की फसल को बचाने के उपाय भी जानना चाहिए. क्योंकि कुछ कीट फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं.

दरअसल, बैंगन एक ऐसी फसल है, जिसकी मार्केट में पूरे साल मांग रहती है. खास कर बरसात में इसकी कीमत भी बढ़ जाती है. ऐसे में अगर किसान बैंगन की अच्छी किस्मों की बुवाई करते हैं, तो बंपर पैदावार के साथ अच्छी कमाई भी होगी. हालांकि, बुवाई करने से पहले किसानों को सही मिट्टी का चुनाव करना होगा. ऐसे कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, बैंगन के खेत में बलुई दोमट या हल्की रेतीली मिट्टी होनी चाहिए. क्योंकि ऐसी मिट्टी में बैंगन की पैदावार अच्छी होती है और पौधे भी तेजी से बढ़ते हैं. साथ ही बैंगन की अच्छी फसल के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई जरूरी है. इससे मिट्टी में छिपे पुराने कीट, प्यूपा और लार्वा धूप से खत्म हो जाते हैं.

कीट और बीमारियों की चुनौती

लेकिन किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि बैंगन की फसल को कीट बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. खास कर सफेद मच्छर, तना छेदक और फल छेदक इल्ली जैसे कीट बैंगन की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इनके नियंत्रण के लिए किसान कार्टाब हाइड्रोक्लोराइड और एसिटामाप्रीड जैसी दवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं. बारिश के मौसम में फफूंद जनित रोग भी तेजी से फैलते हैं. ऐसे में हेक्साकोनोजोल, स्ट्रेप्टोसाइक्लिन और टेबुकोनोजोल जैसे फफूंदनाशक कारगर साबित होते हैं. गर्मी के मौसम में बैंगन पर रेड माइट (लाल कीट) का हमला होता है, जिसे समय रहते नियंत्रित करना जरूरी है. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि एक ही कीटनाशक बार-बार इस्तेमाल न करें. दवाओं को बदल-बदल कर प्रयोग करें, ताकि कीटों में प्रतिरोधक क्षमता न पनपे और फसल सुरक्षित रहे.

इन किस्मों से मिलेगी बंपर उपज

खास बात यह है कि बैंगन की हाईब्रिड किस्में ज्यादा और लगातार उत्पादन देती हैं. इसलिए किसान बुवाई करते समय हाईब्रिड किस्मों का ही चयन करें. अगर आप सही किस्म का चुनाव करते हैं, तो हर सीजन में अच्छी कमाई कर सकते हैं. बैंगन की खेती अब किसानों के लिए सिर्फ खेती नहीं, एक फायदे का सौदा बन चुकी है. अगर पूसा हाईब्रिड 9 की खासियत की बात करें, इसके एक फल का वजन लगभग 300 ग्राम होता है. बुआई करने के 85 से 90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है. इसकी औसत उपज 50 टन प्रति हेक्टेअर है. इसी रह पूसा हाईब्रिड 6 के एक फल का वजन 200 ग्राम होता है.  90 दिनों में फसल तैयार हो जाती है और इसकी पैदावार से 60 टन प्रति हेक्टेअर है.

ये हैं बैंगन की उन्नत किस्में

  • पूसा हाईब्रिड 6
  • पूसा हाईब्रिड 9
  • अर्का नवनीत
  • पूसा HYB-5

 

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Published: 3 Sep, 2025 | 06:15 PM

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