हरियाणा सरकार नई कस्टम मिल्ड राइस नीति, टूटे चावल की खरीद कम

हरियाणा सरकार की नई CMR नीति में टूटा चावल 25 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है, जिससे राइस मिलर्स नाराज हैं. उनका कहना है कि मिलिंग में चावल टूटना स्वाभाविक है और मौजूदा लागत से नुकसान हो रहा है. साथ ही, गोदाम दूरी और परिवहन की समस्या भी चिंता का विषय है.

नोएडा | Updated On: 26 Oct, 2025 | 07:51 PM

Haryana News: हरियाणा सरकार ने गुरुवार देर रात 2025-26 के लिए नई कस्टम मिल्ड राइस (CMR) नीति जारी की, जिससे राज्यभर के राइस मिलर्स और डीलरों में नाराजगी फैल गई है. उन्होंने नीति में बदलाव की मांग की है. नई नीति में सबसे बड़ा बदलाव टूटी हुई चावल की मात्रा को लेकर है. पहले डिलीवरी में 25 फीसदी टूटा चावल स्वीकार किया जाता था, लेकिन अब इसे घटाकर सिर्फ 10 फीसदी कर दिया गया है. मिलर्स का कहना है कि चावल की मिलिंग के दौरान टूटना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इस नियम से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.

कर्नाल राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि बचे हुए 15 फीसदी टूटे चावल का क्या होगा, इस पर सरकार को स्पष्टता देनी चाहिए. नई नीति के तहत टूटे चावल को कम करने के लिए 2.23 रुपये प्रति क्विंटल मिलिंग खर्च, 1.23 रुपये प्रति क्विंटल स्टोरेज खर्च और 3.33 रुपये प्रति क्विंटल पैकेजिंग खर्च तय किया गया है. लेकिन वास्तव में टूटे चावल की प्रोसेसिंग और हैंडलिंग का खर्च 25 रुपये प्रति क्विंटल तक आता है. मिलर्स ने कहा कि इन शर्तों में CMR देना मुश्किल है, इसलिए नीति में जरूरी सुधार किए जाएं.

किसानों और मिलर्स दोनों को दिक्कत

मिलर्स ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि सरकार ने मंडियों से एफसीआई गोदामों तक धान पहुंचाने के लिए परिवहन सुविधा नहीं दी है. कर्नाल राइस मिलर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि सीजन के दौरान किसानों और मिलर्स दोनों को दिक्कत होती है, क्योंकि जिन ट्रांसपोर्टरों को टेंडर मिलते हैं, उनके पास पर्याप्त गाड़ियां नहीं होतीं. कुछ ट्रांसपोर्टर फर्जी गाड़ियों के नंबर प्रशासन को देते हैं, जिसकी शिकायत पहले भी हो चुकी है.

करीब 13.97 लाख एकड़ में धान की बुआई

कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुमान के अनुसार, इस साल हरियाणा में करीब 13.97 लाख एकड़ में धान की बुआई होगी और मंडियों व खरीद केंद्रों में लगभग 84 लाख मीट्रिक टन (MT) धान की आवक होगी. इसमें से सरकारी एजेंसियों द्वारा करीब 54 लाख MT धान की खरीद की जाएगी और लगभग 36 लाख MT (LMT) चावल केंद्र सरकार के स्टॉक में भेजा जाएगा, जो कुल खरीदी गई धान का करीब 67 फीसदी होगा.

नई CMR नीति के तहत मिलर्स को चावल चरणबद्ध तरीके से जमा करना होगा

दिसंबर 2025 तक  15 फीसदी

जनवरी 2026 तक  25 फीसदी

फरवरी के अंत तक  20 फीसदी

मार्च के अंत तक  15 फीसदी

मई के अंत तक  15 फीसदी

30 जून 2026 तक  10 फीसदी

धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य

इस साल केंद्र सरकार ने धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सामान्य धान के लिए 2,369 रुपये और ग्रेड ‘A’ के लिए 2,389 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. मिलर्स ने यह भी मांग की कि एफसीआई (FCI) के गोदाम उनके मिल यूनिट्स के पास ही अलॉट किए जाएं. एसोसिएशन अध्यक्ष सौरभ गुप्ता ने कहा कि पिछले दो सीजन से हमें काफी परेशानी हुई है, क्योंकि सरकार ने चावल जमा करने के लिए ऐसे गोदाम अलॉट किए जो बहुत दूर थे. हमारी मांग है कि इस बार नजदीकी गोदाम दिए जाएं.

Published: 26 Oct, 2025 | 11:49 AM

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