आम की खेती करने वाले किसानों के लिए सितंबर का महीना बहुत अहम होता है. अगर किसान अगले सीजन में बंपर उत्पादन चाहते हैं, तो अभी से ही आम के बाग में तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. खास कर बाग में घासों की सफाई करना बहुत जरूरी है. लेकिन बहुत से किसानों को यह मालूम नहीं है कि इस समय पेड़ों को कौन-कौन सी खाद देनी चाहिए और किन दवाओं का छिड़काव करें, ताकि कीड़े खत्म हो जाएं और बीमारियां नहीं पनपे. तो आइए जानते हैं सितंबर महीने में बाग को तैयार करने का सही तरीका.
एक्सपर्ट के मुताबिक, आम की खेती करने वाले किसानों के लिए सितंबर का महीना बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दौरान फल तुड़ाई पूरी हो चुकी होती है और पेड़ अगले सीजन के लिए तैयार होते हैं. इस समय अगर सही देखभाल की जाए तो अगली फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार आता है. एक्सपर्ट का कहना है कि सितंबर में समय पर खाद और रोग नियंत्रण करने से पैदावार 25 फीसदी तक बढ़ जाती है.
कितना करें खाद का इस्तेमाल
बागवानी एक्सपर्ट के मुताबिक, फल तुड़ाई के तुरंत बाद पेड़ों को सही पोषण देना जरूरी है. एक वयस्क आम के पेड़ को 500 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फॉस्फोरस और 500 ग्राम पोटैशियम देना चाहिए. इसके लिए प्रति पेड़ 550 ग्राम डाई अमोनियम फॉस्फेट (DAP), 850 ग्राम यूरिया और 750 ग्राम म्यूरिएट ऑफ पोटाश देना जरूरी है. साथ ही 20 से 25 किलो कम्पोस्ट खाद भी डालना चाहिए.
कैसे करें बाग की देखरेख
खाद डालते समय ध्यान रखें कि इसे पेड़ के चारों ओर 1.5 से 2 मीटर दूर तक, 9 इंच चौड़ा और 9 इंच गहरा गोलाकार खड्डा बनाकर उसमें डालें. इसके बाद मिट्टी से ढक दें और अच्छी तरह पानी दें. सबसे जरूरी बात यह है कि 15 सितंबर के बाद किसी भी तरह की खाद या उर्वरक न डालें, क्योंकि तब पेड़ फूल और फल बनाने की प्रक्रिया में होता है. बड़ी बात यह है कि सितंबर में रोग और कीट नियंत्रण पर भी खास ध्यान देना चाहिए. जुलाई और अगस्त में मोनोक्रोटोफॉस या डाइमेथोएट का छिड़काव किया हो तो सितंबर में इसे दोबारा करें. साथ ही पेड़ों पर लगे मकड़ी के जाले हटाएं और प्रभावित टहनियों को काटकर नष्ट करें.
संक्रमण और कीटों से बचाने के उपाय
दरअसल, बारिश के मौसम में नमी बढ़ने से लाल जंग और एन्थ्रेक्नोज जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इससे बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव जरूरी है. अगर सितंबर में इसे 2-3 बार छिड़काव करते हैं, तो पत्तियों और टहनियों पर संक्रमण नहीं फैलता है. वहीं, अक्टूबर में डाई-बैक बीमारी के लक्षण दिख सकते हैं, इसलिए समय पर रोकथाम जरूरी है. अगर टहनियों के सिरे सूखने लगें तो तुरंत छंटाई करें और बाद में कॉपर ऑक्सीक्लोराइड छिड़काव करें. यह बीमारी अगर समय पर न रुकी तो पेड़ की बढ़त पर बुरा असर डालती है. इसके अलावा, गमोसिस जैसी समस्या से निपटने के लिए बोर्डो पेस्ट लगाएं और प्रभावित जगहों पर कॉपर सल्फेट का छिड़काव करें. यह समस्या खासकर पुराने पेड़ों में ज्यादा होती है.
क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स का करें छिड़काव
सितंबर के बाद मिलीबग कीट की समस्या बढ़ सकती है. इससे बचाव के लिए पेड़ के तनों पर अल्केथेन शीट लगाएं और ग्रीस भी लगाएं. मिलीबग को नियंत्रित करने के लिए कार्बोसल्फान या क्लोरपायरीफॉस ग्रेन्यूल्स छिड़कें. जो कीट छाल काटते हैं, उनके द्वारा बने छेदों में मोनोक्रोटोफॉस डालकर उसे वैक्स या गीली मिट्टी से बंद कर दें. इससे कीटों का जीवन चक्र रुक जाता है और पेड़ सुरक्षित रहते हैं.