5 से 25 अक्टूबर के बीच करें हाइब्रिड सरसों की बुवाई, 20 फीसदी ज्यादा होगी पैदावार.. तेल उत्पादन भी अधिक

2 अगस्त को राष्ट्रीय सरसों दिवस पर हाइब्रिड सरसों की चर्चा जरूरी है. यह न केवल सब्जियों का स्वाद बढ़ाती है, बल्कि किसानों की आमदनी भी. पारंपरिक किस्मों से 16 से 20 फीसदी ज्यादा उपज और 2 से 2.5 फीसदी अधिक तेल देती है.

नोएडा | Updated On: 2 Aug, 2025 | 08:01 PM

National Mustard Day: सरसों तेल के बगैर में स्वादिष्ट सब्जी और पकौड़े की कल्पना नहीं कर सकते हैं. ऐसे मौजूदा वक्त में लोग रिफाइंड तेज का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन सरसों तेल की बात ही अलग है. नमकीन पकवान जितना अच्छा और टेस्टी सरसों तेल में पकता है, उतना बेहतर किसी और खाद्य तेल में नहीं. यही वजह है कि केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी सरसों की खेती को बढ़ावा दे रही हैं. अब तो मार्केट में सरसों की कई हाइब्रिड किस्में आ गई है, जिससे ज्यादा पैदावार भी मिलती है. ऐसे 5 से 25 अक्टूबर के बीच हाइब्रिड सरसों की बुवाई अच्छा माना गया है. दरअसल, हम सरसों को लेकर इस लिए ये बातें कर रहे हैं, क्योंकि आज यानी 2 अगस्त को राष्ट्रीय सरसों दिवस है. तो आइए जानते हैं सरसों उत्पादन और बेहतर किस्म के बारे में.

सरसों हमारे खाने का स्वाद भी बढ़ाती है, बल्कि गांवों की आमदनी भी इजाफा करती है. खासतौर पर हाइब्रिड सरसों अब किसानों के लिए उम्मीद, मेहनत और तरक्की की पहचान बन चुकी है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों की सरसों की खेती अब पहले से ज्यादा फायदेमंद हो गई है. हाइब्रिड सरसों से पारंपरिक किस्मों की तुलना में 16 से 20 फीसदी ज्यादा पैदावार मिलती है. साथ ही तेल की मात्रा भी 2 से 2.5 फीसदी तक ज्यादा होती है. इससे किसानों की सालाना कमाई में अच्छा-खासा इजाफा हो रहा है.

5 से 25 अक्टूबर के बीच करें सरसों की बुवाई

जहां एक तरफ फसलों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और बीमारियों की वजह से किसान परेशान हैं, वहीं हाइब्रिड सरसों खेती में स्थिरता और नया भरोसा ला रही है. हाइब्रिड सरसों को 5 से 25 अक्टूबर के बीच बोना सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि इस समय खेत में नमी और तापमान दोनों अनुकूल होते हैं. इस समय पर बोई गई हाइब्रिड सरसों लगातार बेहतर पैदावार और कमाई दे रही है.

इन राज्यों में सरसों से किसानों की अच्छी कमाई

कॉर्टेवा एग्रीसाइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश के किसान जो सही समय पर बुआई करते हैं और अच्छी खेती तकनीक अपनाते हैं, उन्हें ज्यादा उत्पादन के साथ-साथ मंडी में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. हरियाणा के किसान देवेंद्र सिंह का कहना है कि वे पिछले 10 सालों से हाइब्रिड सरसों उगा रहे हैं. इससे उपज और तेल की गुणवत्ता दोनों बेहतर मिलती हैं. हाइब्रिड अपनाने से जो अतिरिक्त आमदनी हुई, उससे उन्होंने ट्रैक्टर खरीदा, बच्चों को अच्छी स्कूलों में भेजा और घर की हालत भी सुधारी.

गांवों की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव ला रही सरसों

यानी खेती तक सीमित नहीं, हाइब्रिड सरसों अब गांवों की अर्थव्यवस्था में भी बड़ा बदलाव ला रही है. यह स्थानीय एग्री-रिटेल सिस्टम को ताकत देती है, मंडियों को मजबूत बनाती है और गांवों के परिवारों को एक भरोसेमंद आमदनी का जरिया देती है. जहां-जहां सरसों खेती और संस्कृति का हिस्सा है, वहां अब हाइब्रिड सरसों को सिर्फ बेहतर फसल नहीं, बल्कि गर्व और उम्मीद का प्रतीक माना जा रहा है. इसकी बढ़ती लोकप्रियता दिखाती है कि स्थानीय नवाचार और समझदारी से लिए गए फैसले कैसे गांवों को आगे बढ़ा रहे हैं.

आत्मनिर्भरता और टिकाऊ खेती के लिए सरसों है बेहतर

भारत अगर खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता और जलवायु-टिकाऊ खेती की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है, तो हाइब्रिड सरसों एक मजबूत रास्ता बन सकती है. एक ऐसा रास्ता जो किसानों की सफलता की असली कहानियों से निकला है. ऐसे में यही वक्त है कि अन्नदाता अच्छी क्वालिटी के बीज, क्षेत्रीय सलाह और किसान-हितैषी तरीकों में निवेश करें,  ताकि तिलहन खेती का भविष्य सुरक्षित और मजबूत हो.

 

Published: 2 Aug, 2025 | 03:19 PM