Punjab Agriculture News: खरीफ सीजन के अंत में पंजाब सरकार धान की फसल की खरीद के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी का इंतजार कर रही है. अगस्त और सितंबर में आई बाढ़ और लगातार बारिश के कारण फसल को भारी नुकसान हुआ था. पकने के समय फसल पर लूज स्मट और येलो स्मट जैसी बीमारियों का असर भी पड़ा, जिससे उत्पादन घट गया. राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के शुरुआती अनुमान के अनुसार, इस बार धान में खराब और बदरंग दानों की मात्रा 33.44 फीसदी तक पहुंच गई है, जबकि स्वीकृत सीमा सिर्फ 5 फीसदी है. इस देरी को देखते हुए मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने केंद्र को नियमों में ढील देने की अपील करते हुए पत्र लिखा है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार तक मंडियों में 140 लाख टन धान पहुंच चुका है, जो अनुमानित मात्रा का लगभग 90 फीसदी है. पहले सरकार को 182 लाख टन उत्पादन की उम्मीद थी, लेकिन बाढ़ और खराब मौसम के बाद लक्ष्य घटाकर 150-155 लाख टन कर दिया गया. किसानों को खराब या बदरंग धान और अधिक नमी के कारण 50 रुपये से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक का नुकसान झेलना पड़ रहा है, वहीं मिल मालिक भी ऐसी फसल से चावल निकलने की गुणवत्ता पर चिंता जता रहे हैं. पंजाब सरकार कई बार केंद्र से खरीद नियमों में ढील देने की मांग कर चुकी है, लेकिन अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है.
15 नवंबर तक होगी धान की खरीद
राज्य के 1,835 खरीद केंद्र 16 सितंबर से चालू हुए थे और अब 15 नवंबर तक बंद हो जाएंगे. अधिकारी ने कहा कि माजा क्षेत्र की लगभग 250 मंडियां पहले ही बंद हो चुकी हैं, क्योंकि वहां धान की आवक रुक गई है. केंद्र सरकार की टीमों ने 13 से 15 अक्टूबर के बीच पंजाब के 19 जिलों (बरनाला, बठिंडा, मानसा और होशियारपुर को छोड़कर) से धान के नमूने लिए. करीब 100 नमूने जांचे गए, लेकिन उसके बाद केंद्र की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. टीमों ने धान की गुणवत्ता का परीक्षण किया, जिसमें खराब, बदरंग, अंकुरित, कीटग्रस्त, अधपके और सिकुड़े दानों की जांच शामिल थी. शुरुआती रिपोर्ट में पाया गया कि खराब और बदरंग धान की मात्रा लगभग 33.44 फीसदी तक है.
धान खरीद के मानकों में तुरंत राहत देने की मांग
मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि धान खरीद के मानकों में तुरंत राहत दी जाए, ताकि खरीद प्रक्रिया बिना रुकावट जारी रह सके और किसानों को मंडियों में परेशानी न झेलनी पड़े. एक अधिकारी ने कहा कि तकनीकी रूप से हम तय सीमा से ज्यादा खराब धान नहीं खरीद सकते, लेकिन फसल की मात्रा इतनी ज्यादा है कि खरीद करनी ही पड़ रही है. अगर अब केंद्र से राहत मिल जाती है, तो इस धान की मिलिंग करना हमारे लिए आसान होगा. सिन्हा ने अपने पत्र में चावल मिल मालिकों की चिंता का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि खराब या बदरंग धान से तैयार चावल की गुणवत्ता और आउट-टर्न रेशियो (OTR) प्रभावित हो सकता है. इसलिए उन्होंने केंद्र से जल्द से जल्द मानकों में ढील देने की अपील की है.