पंजाब के मालवा क्षेत्र के किसान इस बार समय से पहले धान की बुआई शुरू करने को लेकर थोड़े चिंतित हैं. उनका मानना है कि जल्दी बुआई करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ सकता है. पंजाब सरकार ने 1 जून से बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर, फाजिल्का और फिरोजपुर जिलों में धान की रोपाई की इजाजत दी है. इस दक्षिण मालवा क्षेत्र में करीब 8 से 9 लाख हेक्टेयर में धान की खेती की जाती है. हालांकि सोमवार तक इन जिलों में धान की रोपाई की शुरुआत बहुत कम नजर आई.
क्षेत्र के मुख्य कृषि अधिकारियों का कहना है कि किसान इस बार भी पिछली परंपरा के अनुसार ही 10 जून के आसपास रोपाई शुरू करेंगे, क्योंकि धान पानी की मांग वाली फसल है और समय से पहले रोपाई करने से नुकसान हो सकता है.
बारिश होने पर बुवाई तेजी से शुरू होगी
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों का कहना है कि अगर जल्द बारिश होती है तो एक हफ्ते में धान की रोपाई शुरू हो सकती है, लेकिन इस समय सूखा मौसम होने के कारण किसान रुचि नहीं दिखा रहे हैं. बठिंडा के बाजाक गांव के प्रगतिशील किसान बलदेव सिंह ने कहा कि किसान 1 जून से धान की बुआई शुरू करने के फैसले से पूरी तरह सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान पीआर 126, पीआर 131 जैसी गैर-बासमती किस्मों की रोपाई करता है, तो फसल 93 से 111 दिनों में तैयार हो जाएगी.
गुणवत्ता और उत्पादन पर असर पड़ेगा
किसान ने कहा कि ऐसे में पकने के समय मौसम की स्थिति अनाज की गुणवत्ता और उत्पादन पर असर डालेगी. किसानों ने कहा कि सरकार को यह फैसला लेने से पहले अनुभवी वैज्ञानिकों से सलाह लेनी चाहिए थी. एक और किसान सुखपाल सिंह ने कहा कि किसान अभी भी प्रवासी मजदूरों से संपर्क कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि नहरों में अभी पानी नहीं है, जिससे साफ है कि अधिकारी भी जानते हैं कि किसान धान की पारंपरिक रोपाई की तारीख यानी जून के मध्य तक ही बुआई करेंगे.
धान की बुआई के लिए अनुकूल नहीं है मौसम
वहीं, किसानों और कृषि अधिकारियों का कहना है कि सूखा मौसम धान की बुआई शुरू करने के लिए अनुकूल नहीं है. खेतों में पौधे अभी रोपाई के लिए तैयार नहीं हैं और बुआई शुरू होने में अभी 10 से 12 दिन लग सकते हैं. किसान सरकार के 1 जून से धान की बुआई शुरू करने के फैसले से सहमत नहीं दिख रहे. फरीदकोट के मुख्य कृषि अधिकारी (CAO) कुलवंत सिंह ने कहा कि अगर प्री-मानसून बारिश होती है तो बुआई रफ्तार पकड़ेगी. फिलहाल तापमान ज्यादा है और बारिश नहीं हुई, इसलिए किसान रुचि नहीं दिखा रहे.