सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जारी किए पराली के आंकड़े, 4700 के पार पहुंचा केस

इस बार धान की कटाई 15 दिन पहले शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन मौसम खराब रहने से कटाई लंबी खिंच गई. इससे गेहूं की बुआई के लिए किसानों के पास समय कम बचा और पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 14 Nov, 2025 | 04:42 PM

Agriculture News: पंजाब में इस साल 31 अक्टूबर तक दो हजार से अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल राज्य में 31.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई. 31 अक्टूबर तक करीब 82 फीसदी फसल की कटाई हो गई. ऐसे में 16 सितंबर से 31 अक्टूबर के बीच राज्य में पराली जलाने के 2,084 मामले दर्ज किए गए. खास बात यह है कि यह जानकारी ऐसे समय आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों से पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों पर एक हफ्ते में जवाब देने को कहा था.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस बार धान की कटाई 15 दिन पहले शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन मौसम खराब रहने से कटाई लंबी खिंच गई. इससे गेहूं की बुआई के लिए किसानों के पास समय कम बचा और पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई. अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ आखिरी 12 दिनों में ही आधे से ज्यादा मामले सामने आए. 31 अक्टूबर तक लगभग 82.15 फीसदी कटाई पूरी हो चुकी थी, जबकि 1 नवंबर के बाद सीजन के अंत में 2,650 नए मामले दर्ज हुए. यानी अभी तक पराली जलाने के कुल मामले 4734 दर्ज किए गए.

16 सितंबर से शुरू हुई धान की खरीदी

ऐसे पराली जलाने के मामले आमतौर पर अक्टूबर में बढ़ जाते हैं, क्योंकि किसान धान की कटाई  के बाद खेत खाली करके अगली फसल की तैयारी करते हैं. यह प्रक्रिया तीन से चार हफ्ते चलती है और दिल्ली की पहले से खराब हवा को और ज्यादा खतरनाक बना देती है. प्रदूषण कम करने के लिए इस साल राज्य ने धान की बुआई जल्दी शुरू करने की अनुमति दी, जिससे कटाई भी 15 दिन पहले 16 सितंबर से शुरू हो गई, ताकि किसानों को गेहूं की तैयारी के लिए ज्यादा समय मिल सके.

पराली जलाने की घटनाओं में 93 फीसदी की कमी

वहीं, बुधवार को लगातार दूसरे दिन दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में रही, जिसमें पंजाब और हरियाणा की पराली से उठने वाला धुआं दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण का लगभग एक-चौथाई हिस्सा बन गया, जो इस सीजन का सबसे ज्यादा है. केंद्र के DSS डेटा के अनुसार, पराली का योगदान सोमवार को 13.68 फीसदी था, जो मंगलवार को 15.45 फीसदी और बुधवार को बढ़कर 22.47 फीसदी हो गया. हालांकि, पंजाब में इस साल पराली जलाने  के मामलों में बड़ी गिरावट दर्ज हुई है. पिछले साल के 10,909 मामलों की तुलना में अब तक 57 फीसदी कम मामले सामने आए हैं. पिछले पांच साल में भी पराली जलाने की घटनाओं में 93 फीसदी की कमी आई है, जबकि 2020 में ऐसे 71,000 मामले दर्ज हुए थे.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 14 Nov, 2025 | 04:31 PM

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार टमाटर की उत्पत्ति कहां हुई?