पंजाब- हरियाणा में 90 फीसदी कम हो गए पराली जलाने के मामले, संसद में मंत्री ने दी जानकारी

सरकार ने कहा है कि 2025 में पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 90 फीसदी घटीं और दिल्ली का औसत AQI हाल के वर्षों में सबसे बेहतर रहा. प्रदूषण नियंत्रण के लिए मशीनें, बायोमास पैलेट, फ्लाइंग स्क्वाड और उच्च-स्तरीय बैठकों जैसे कदम सख्ती से लागू किए जा रहे हैं.

Kisan India
नोएडा | Published: 2 Dec, 2025 | 08:04 AM

Punjab News: सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि 2025 की धान कटाई के सीजन में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं 2022 की तुलना में लगभग 90 फीसदी कम हुईं. कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी के सवाल का जवाब देते हुए पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में कहा कि पराली जलाना एक ‘मौसमी घटना’ है, जो सर्दियों में प्रदूषण बढ़ा देती है. उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली ने 2018 के बाद (2020 के कोविड लॉकडाउन वर्ष को छोड़कर) जनवरी से नवंबर के बीच अपना सबसे कम औसत AQI दर्ज किया.

चन्नी ने पूछा था कि पंजाब में इस साल पराली जलाने की घटनाएं 20 फीसदी कम होने के बावजूद दिल्ली का AQI 450 से ऊपर कैसे गया, और सरकार किसानों को वैकल्पिक मशीनें देने और CAQM के निर्देश लागू करने के लिए क्या कर रही है. मंत्री ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में हवा प्रदूषित होने के कई स्थानीय और क्षेत्रीय कारण हैं. जैसे वाहन और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, कचरा और लैंडफिल  में आग और मौसम की स्थितियां. पंजाब और एनसीआर में पराली जलाना इन कारणों के अलावा होने वाली एक अतिरिक्त मौसमी घटना है.

200 दिन ऐसे रहे जब AQI 200 से कम था

लिखित जवाब के मुताबिक, 2025 में दिल्ली में अब तक 200 दिन ऐसे रहे जब AQI 200 से कम था. जबकि 2016 में ऐसे सिर्फ 110 दिन थे.  ‘बहुत खराब’ और ‘गंभीर’ श्रेणी वाले प्रदूषण के दिन भी 2024 के 71 से घटकर इस साल 50 रह गए. पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए सरकार ने बताया कि 2018-19 से अब तक पंजाब और हरियाणा को फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें  उपलब्ध कराने के लिए 3,120 करोड़ रुपये से ज्यादा दिए गए हैं. 2.6 लाख से अधिक मशीनें किसानों को दी गई हैं और 33,800 से ज्यादा मशीनें कस्टम हायरिंग सेंटर्स को दी गईं. CAQM ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया है कि छोटे और सीमांत किसानों को ये मशीनें किराए पर मुफ्त उपलब्ध कराई जाएं.

20 फीसदी को-फायरिंग लक्ष्य रखा गया

आयोग ने ईंट भट्ठों में भी पुआल आधारित बायोमास पैलेट या ब्रिकेट का इस्तेमाल अनिवार्य किया है, ताकि खुले में जलाने की घटनाएं कम हों. इस साल 20 फीसदी को-फायरिंग लक्ष्य रखा गया है, जिसे 2028 तक बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाएगा. दिल्ली से 300 किमी के दायरे में आने वाले थर्मल पावर प्लांट्स को भी कोयले के साथ 10 फीसदी तक बायोमास पैलेट मिलाकर इस्तेमाल करने को कहा गया है. इसके अलावा, 1 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट  जिलों में कार्रवाई की निगरानी के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की 31 फ्लाइंग स्क्वाड टीमें तैनात की गई थीं.

अधिकारियों के साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें की गईं

जवाब में बताया गया कि अक्टूबर और नवंबर के दौरान पर्यावरण मंत्री, कृषि मंत्री, राज्यों की सरकारों और जिला अधिकारियों के साथ कई उच्च-स्तरीय बैठकें की गईं ताकि तैयारियों की समीक्षा हो सके और निर्देशों को सख्ती से लागू कराया जा सके. मंत्री ने कहा कि सरकार पराली प्रबंधन मशीनों के इस्तेमाल की निगरानी कर रही है, जिला स्तर पर हो रहे कामों की समीक्षा कर रही है और थर्मल पावर प्लांट व पैलेट यूनिट्स तक बायोमास की सप्लाई चेन को सुचारु रखने पर भी काम कर रही है.

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