Desi vs hybrid tomatoes: टमाटर ऐसी सब्जी है, जो किसी भी व्यंजन में पड़ जाए तो उसका स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. दाल हो, सब्जी हो, चटनी हो या फिर सलाद, टमाटर के बिना सब कुछ अधूरा सा लगता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बाजार से लाया गया टमाटर देसी है या हाइब्रिड? देखने में तो दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन असलियत में इनके बीच फर्क जमीन–आसमान का होता है. यही फर्क स्वाद, सेहत और कीमत तीनों पर असर डालता है.
आजकल ज्यादातर लोग बिना सोचे-समझे टमाटर खरीद लेते हैं, लेकिन अगर थोड़ी सी जानकारी हो जाए तो आप अपनी थाली के लिए बेहतर और सेहतमंद टमाटर चुन सकते हैं. आइए जानते हैं कि देसी और हाइब्रिड टमाटर क्या होते हैं, इनमें फर्क कैसे पहचानें और आखिर देसी टमाटरों की बाजार में मांग इतनी ज्यादा क्यों रहती है.
देसी और हाइब्रिड टमाटर में बुनियादी फर्क
देसी और हाइब्रिड दोनों ही टमाटर हैं और दोनों का इस्तेमाल भी एक जैसा होता है, लेकिन इनके उगाने के तरीके और गुण बिल्कुल अलग होते हैं. देसी टमाटर पारंपरिक बीजों से उगाए जाते हैं, जिन्हें पीढ़ियों से किसान इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इनमें प्राकृतिक स्वाद और खुशबू होती है. दूसरी ओर हाइब्रिड टमाटर दो अलग-अलग किस्मों को मिलाकर तैयार किए जाते हैं, ताकि ज्यादा पैदावार और लंबी शेल्फ लाइफ मिल सके.
देसी टमाटर की पहचान
देसी टमाटर अक्सर देखने में थोड़े छोटे, गोल और रसीले होते हैं. इनका रंग एक जैसा गहरा लाल नहीं होता, बल्कि इनमें हरा, पीला और हल्का लाल रंग एक साथ दिखाई दे सकता है. कई बार देखने में लगता है कि टमाटर कच्चा है, लेकिन अंदर से वह पूरी तरह पका होता है. देसी टमाटर का स्वाद हल्का खट्टा और तीखा होता है, जो सब्जी या चटनी में डालते ही अलग पहचान बना देता है.
हाइब्रिड टमाटर कैसे होते हैं
हाइब्रिड टमाटर आमतौर पर सुर्ख लाल, चमकदार और एकदम टाइट होते हैं. हाथ में लेने पर ऐसा लगता है जैसे इनमें रस कम हो. ये देखने में बहुत सुंदर लगते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते. लंबे समय तक ताजे बने रहने के कारण होटल और बड़े बाजारों में इनका ज्यादा इस्तेमाल होता है. हालांकि स्वाद के मामले में ये अक्सर फीके होते हैं और देसी टमाटर जैसी खुशबू इनमें नहीं मिलती.
सेहत के लिहाज से कौन बेहतर
सेहत की बात करें तो देसी टमाटर ज्यादा फायदेमंद माने जाते हैं. इनमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करता है. इसके अलावा टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है, जो दिल की बीमारियों से बचाव करता है. देसी टमाटर प्राकृतिक तरीके से पकते हैं, इसलिए इनमें पोषक तत्व सुरक्षित रहते हैं. वहीं हाइब्रिड टमाटरों की खेती में कई बार रासायनिक खाद और दवाओं का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जो लंबे समय में सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है.
बाजार में देसी टमाटरों की ज्यादा मांग क्यों
देसी टमाटरों की मांग बढ़ने का सबसे बड़ा कारण उनका स्वाद है. एक देसी टमाटर कई हाइब्रिड टमाटरों के बराबर स्वाद दे देता है. इसके अलावा लोग अब अपनी सेहत को लेकर ज्यादा जागरूक हो रहे हैं और ऑर्गेनिक व देसी चीजों की तरफ लौट रहे हैं. एक और वजह कीमत भी है. देसी टमाटर ज्यादातर स्थानीय किसानों द्वारा उगाए जाते हैं, इसलिए परिवहन और भंडारण का खर्च कम पड़ता है. यही कारण है कि कई जगहों पर देसी टमाटर हाइब्रिड के मुकाबले सस्ते भी मिल जाते हैं.
भारत की लोकप्रिय देसी टमाटर किस्में
भारत में देसी टमाटरों की कई बेहतरीन किस्में मौजूद हैं, जिन्हें वैज्ञानिकों ने खास जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखकर विकसित किया है. काशी अमृत, काशी विशेष, काशी हेमंत, काशी शरद, काशी अनुपम और काशी अभिमा जैसी किस्में किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. अलग-अलग राज्यों में मौसम के अनुसार इन किस्मों की खेती की जाती है, जिससे अच्छी पैदावार और बेहतर स्वाद मिलता है.
कैसे चुनें सही टमाटर
अगर आप स्वाद और सेहत दोनों चाहते हैं तो टमाटर खरीदते समय उसके रंग, खुशबू और बनावट पर ध्यान दें. बहुत ज्यादा चमकदार और एकदम सख्त टमाटर अक्सर हाइब्रिड होते हैं. वहीं हल्के-फुल्के रंग बदलते हुए, थोड़े नरम और खुशबूदार टमाटर आमतौर पर देसी होते हैं.
कुल मिलाकर कहा जाए तो टमाटर सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि स्वाद और सेहत का खजाना है. सही जानकारी के साथ अगर आप देसी टमाटर चुनते हैं, तो आपकी थाली भी स्वाद से भर जाएगी और शरीर भी तंदुरुस्त रहेगा.