दलहनी फसलों में से एक उड़द की फसल की बुवाई किसान बड़े पैमाने पर करते हैं. उड़द की फसल के अच्छे उत्पादन में सिंचाई की भी अहम भूमिका होती है. इसकी सिंचाई मौसम और फसल की स्थिति के अनुसार करनी चाहिए. अगर आप खरीफ सीजन में इसकी बुवाई कर रहे हैं तो इस मौसम में इसे ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है. जबकि ग्रीष्मकालीन उड़द की फसल में कुछ-कुछ समय के अंतराल पर सिंचाई करने की जरूरत होती है. तो आइये जान लेते हैं कि उड़द की फसल को कब और किस मौसम में कितनी सिंचाई की जरूरत होती है.
पहली सिंचाई बुवाई के 15 दिन बाद जरूरी
उड़द की फसल में फूल आने से लेकर फली बनने तक खेत में पर्याप्त मात्रा में नमी की जरूरत होती है. ऐसे में बहुत जरूरी होता है कि किसान समय पर फसल की सिंचाई करें. खरीफ सीजन में अगर सामान्य रूप से बारिश हुई है तो फसल को सिंचाई की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. एक बार फलियों को जांच लें अगर फलियों में नमी कम हो तो दाने भरने के समय सिंचाई करें. वहीं ग्रीष्मकालीन उड़द के लिए पहली सिंचाई 15 से 20 दिन के बाद करनी चाहिए. इसके बाद 8 से 10 दिन के अंतराल पर नियमित रूप से सिंचाई करते रहना चाहिए.
सिंचाई का सही तरीका अपनाएं किसान
उड़द की फसल को पर्याप्त मात्रा में पानी मिले इसके लिए किसानों को सुनिश्चित करना होगा कि मिट्टी की नमी के अनुसार सिंचाई की मात्रा को तय करें. इसके साथ ही किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि खेत में पानी को समान रूप से वितरित करें ताकि फसल को भरपूर नमी मिल सके. सिंचाई करने से पहले किसान एक बार पानी का गुणवत्ता जरूर जांच लें. क्योंकि खराब पानी से सिंचाई करने पर फसल को नुकसान पहुंच सकता है.
तेजी से अंकुरित होंगे पौधे
किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन में सिंचाई एक महत्वपूर्ण चरण है. फसल की ग्रोथ और विकास के लिए जरूरी है कि नियमित रूप से सिंचाई करी जाए. इसके साथ ही सही तरह से सिंचाई करने पर फसल की पैदावार भी बढ़ती है. बता दें कि सिंचाई अगर सही तरीके से की जाए तो बीज अंकुरण को भी बेहतर बनाने में मदद मिलती है.