देश के किसान फिर से तैयार हैं बदलाव के लिए. अब जुगाड़ नहीं, होगी असली तकनीक की मदद. 29 मई यानी आज से शुरू हो रहा है ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’, जिसमें वैज्ञानिक सीधे खेतों में जाकर किसानों को सिखाएंगे नई-नई तकनीकें और बताएंगे कैसे कम मेहनत में बढ़ाएं अपनी आमदनी. ये अभियान 12 जून तक चलेगा और इसका मकसद है एक राष्ट्र, एक कृषि, एक टीम की सोच को जमीन पर सच करना.
वैज्ञानिक और किसान एक साथ
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में यह अभियान किसानों और वैज्ञानिकों के बीच सीधा संवाद स्थापित करेगा. अब किसान अपने खेत की समस्याएं सीधे वैज्ञानिकों से कहेंगे और उनको फील्ड का अनुभव भी देंगे. इस संवाद से न सिर्फ हल निकलेंगे, बल्कि खेती के लिए नए शोध भी होंगे. ‘लैब टू लैंड’ की ये पहल किसानों के लिए एक बड़ी उम्मीद लेकर आई है.
पूरे देश में फैलेंगे ज्ञान के दूत
इस अभियान को 723 जिलों में तीन-तीन टीमों के साथ उतारा जाएगा. हर टीम में वैज्ञानिक, कृषि अधिकारी और कुछ नई तकनीक किसान होंगे, जो रोजाना तीन ग्राम पंचायतों का दौरा करेंगे. इस तरह करीब 1.30 करोड़ किसानों से सीधे जुड़ाव होगा. यह पहल हर छोटे-बड़े किसान तक आधुनिक खेती की जानकारी पहुंचाएगी.
खरीफ फसलों पर खास ध्यान
खरीफ फसलों की बेहतर पैदावार के लिए किसानों को प्राकृतिक खेती, ड्रोन तकनीक, नैनो यूरिया-डीएपी जैसी उन्नत विधियों से जोड़ा जाएगा. साथ ही नई मशीनों का प्रदर्शन भी होगा, जिससे किसान लागत और समय दोनों बचा सकेंगे। मिट्टी की जांच के बाद सही फसल और खाद के इस्तेमाल का तरीका भी समझाया जाएगा, ताकि उत्पादन में बढ़ोतरी हो.
पशुपालन और मत्स्यपालन भी होगा मजबूत
फसलों के साथ-साथ इस अभियान में पशुपालन, मुर्गीपालन और मत्स्यपालन को भी शामिल किया गया है. पोषण, रोग नियंत्रण और नए तरीकों की जानकारी से किसान अपनी आमदनी के नए रास्ते तलाश सकेंगे. विशेषज्ञों का सीधा संवाद किसानों के लिए नए अवसर लेकर आएगा.
सरकार की योजनाएं किसानों तक सीधे पहुंचेगी
अक्सर सरकार की योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पातीं, लेकिन इस अभियान में किसानों को हर मदद का पूरा ज्ञान मिलेगा. आर्थिक सहायता से लेकर तकनीकी सलाह तक, सभी जानकारियां सीधे किसानों तक पहुंचेंगी ताकि वे योजना का पूरा लाभ उठा सकें.
नई सोच, नई ऊर्जा से खेती होगी
इस अभियान से खेती को एक नई पहचान मिलेगी. किसान और वैज्ञानिक साथ मिलकर खेती को विज्ञान के करीब लेकर आएंगे. अनुभव और शोध का ये मेल खेती को न सिर्फ लाभदायक बनाएगा बल्कि नई तकनीकों की खोज को भी बढ़ावा देगा.