भारत के खेतों में पालक की हरियाली किसानों की मेहनत का प्रतीक होती है. यह पत्तेदार सब्जी न सिर्फ सेहत के लिए फायदेमंद है बल्कि किसानों के लिए भी अच्छी आमदनी का जरिया है. लेकिन जब फसल पर रोग और कीट हमला करते हैं, तो हरे-भरे पत्ते पीले या धब्बेदार होकर मुरझाने लगते हैं. इससे बाजार में पालक की कीमत गिर जाती है और किसानों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान समय रहते सही उपाय अपनाएं ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे और उत्पादन में चार चांद लग जाएं.
पालक के पत्तों में धब्बे क्यों पड़ते हैं?
पालक के पत्तों पर पड़ने वाले धब्बे मुख्य रूप से फफूंद (fungus), जीवाणु संक्रमण (bacterial infection), कीट प्रकोप और पोषक तत्वों की कमी से होते हैं. अक्सर बारिश या अत्यधिक नमी के मौसम में फफूंद तेजी से फैलती है, जिससे पत्तों पर भूरे या पीले धब्बे बनने लगते हैं. अगर समय पर नियंत्रण न किया जाए, तो पूरा खेत प्रभावित हो सकता है.
इसके अलावा खेत में खरपतवार (weeds) की अधिकता भी रोग फैलाने का कारण बनती है. इसलिए खेत को हमेशा साफ और हवादार रखना चाहिए ताकि हवा का संचार बना रहे और नमी ज्यादा न जमे.
फसल को स्वस्थ रखने के लिए करें यह छिड़काव
पालक की फसल की वृद्धि के दौरान किसान भाइयों को माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का छिड़काव करना चाहिए. इससे पत्तों की बनावट मजबूत होती है और पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.
MOP (म्युरिएट ऑफ पोटाश) – पोटाश की कमी पूरी करने के लिए यह अत्यंत उपयोगी है. यह पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और पत्तों में चमक लाता है.
जिंक सल्फेट और सल्फर – इन दोनों पोषक तत्वों की उचित मात्रा बुवाई के समय मिलाने से फसल अधिक हरी-भरी होती है.
NPK घुलनशील उर्वरक (20:10:10) – यह अनुपात पालक जैसी पत्तेदार फसल के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि इसमें नाइट्रोजन अधिक मात्रा में होती है जो पत्तों की वृद्धि को बढ़ावा देती है.
गोबर की खाद– खेत में प्राकृतिक खाद डालने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और रोगों का खतरा कम होता है.
अगर पत्तों पर हल्के धब्बे दिखने लगें, तो मैन्कोजेब या कॉपपर ऑक्सीक्लोराइड जैसे फफूंदनाशक का छिड़काव किया जा सकता है, लेकिन यह काम कृषि विशेषज्ञ की सलाह से ही करें.
उच्च गुणवत्ता वाली पालक के फायदे
जब पालक के पत्ते स्वस्थ, हरे और चमकदार होते हैं, तो बाजार में उसकी कीमत कई गुना बढ़ जाती है. अच्छी गुणवत्ता की पालक न केवल जल्दी बिकती है बल्कि व्यापारी और थोक विक्रेता भी इसे प्राथमिकता से खरीदते हैं.
पालक की फसल की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह कम समय और कम लागत में तैयार हो जाती है. अगर किसान उचित खाद, पानी और छिड़काव का ध्यान रखें तो एक एकड़ खेत से कई क्विंटल हरी पालक निकाली जा सकती है. वहीं आज कई किसान ऑर्गेनिक पालक की खेती की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिससे उन्हें निर्यात के लिए भी बेहतर अवसर मिल रहे हैं.