ISMA ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत, 20 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल का जारी रहेगा इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट ने E20 पेट्रोल पर याचिका खारिज की, जिसमें पुराने वाहनों के लिए विकल्प न होने की शिकायत थी. ISMA के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे किसानों, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद बताया.

नोएडा | Updated On: 1 Sep, 2025 | 08:40 PM

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें देशभर में 20 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP-20) लागू करने को चुनौती दी गई थी. याचिकाकर्ता का कहना था कि लाखों वाहन चालकों को ऐसा ईंधन इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो उनकी गाड़ियों के लिए उपयुक्त नहीं है. वहीं, ISMA (भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा निर्माता संघ) के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. ISMA ने कहा कि कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि E20 योजना अपने तय रास्ते पर जारी रहेगी, जिससे भारत के स्वच्छ ईंधन मिशन को मजबूती मिलेगी.

ISMA के मुताबिक, लक्ष्य से 5 साल पहले ही 20 फीसदी एथनॉल मिश्रण हासिल कर लेना एक बड़ा बदलाव है. इसके चलते किसानों को 1.18 लाख करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. साथ ही 1.36 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा की भी बचत हुई और 698 लाख टन CO₂ उत्सर्जन में कमी आई. ISMA ने कहा कि ये आंकड़े दिखाते हैं कि यह नीति किसानों, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण तीनों के लिए फायदेमंद है और भारत के सस्टेनेबल एनर्जी ट्रांजिशन के वादे को भी पूरा करती है.

मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग की गई थी

दरअसल, यह जनहित याचिका (PIL) अक्षय मल्होत्रा ने दायर की थी, जिसमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि देश के सभी पेट्रोल पंपों पर एथनॉल-मुक्त (E0) पेट्रोल भी उपलब्ध कराया जाए. याचिकाकर्ता के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता शादन फरासत ने कहा कि हम E20 के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जो पुराने वाहन E10 के लिए बने हैं, उनके लिए विकल्प होना चाहिए. दिक्कत यह है कि अब E10 पेट्रोल मिल नहीं रहा. उपभोक्ताओं को कोई जानकारी या नोटिफिकेशन भी नहीं दिया गया.

कौन-सा पेट्रोल इस्तेमाल होगा

सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कोई बाहरी व्यक्ति यह तय नहीं कर सकता कि देश में कौन-सा पेट्रोल इस्तेमाल होगा. उन्होंने 20 फीसदी एथनॉल मिश्रित पेट्रोल (E20) को सही ठहराते हुए कहा कि इससे गन्ना किसानों को फायदा हो रहा है. वहीं, याचिकाकर्ता अक्षय मल्होत्रा ने मांग की कि हर पेट्रोल पंप और डिस्पेंसिंग यूनिट पर एथनॉल की मात्रा साफ-साफ लिखी हो, ताकि उपभोक्ताओं को जानकारी रहे कि वे क्या ईंधन भरवा रहे हैं. साथ ही, ईंधन भरते समय यह भी साफ जानकारी दी जाए कि उनका वाहन उस ईंधन के अनुकूल है या नहीं.

6 फीसदी तक कम हो सकती है माइलेज

याचिका में यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह देशभर में यह जांच करवाए कि E20 पेट्रोल से गैर-अनुकूल (non-compliant) गाड़ियों में कितनी मैकेनिकल खराबी और माइलेज में गिरावट हो रही है. गौरतलब है कि नीति आयोग की 2021 की रिपोर्ट ‘Roadmap for Ethanol Blending in India: 2020–2025’ के अनुसार, E20 पेट्रोल से वाहनों की माइलेज औसतन 6 फीसदी तक कम हो सकती है, हालांकि यह अलग-अलग गाड़ियों में अलग-अलग हो सकती है.

वाहन चालकों के पास कोई विकल्प नहीं

नीति आयोग की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि जिन गाड़ियों को कम या बिना एथनॉल वाले पेट्रोल के लिए डिजाइन किया गया है, अगर उनमें ज्यादा एथनॉल वाला ईंधन (जैसे E20) डाला जाए तो माइलेज कम हो जाती है. अक्षय मल्होत्रा की याचिका में दावा किया गया है कि देश के करोड़ों वाहन चालकों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है. उन्हें मजबूरी में ऐसा पेट्रोल भरवाना पड़ रहा है, जो उनकी गाड़ियों के लिए सही नहीं है.

 

Published: 1 Sep, 2025 | 05:56 PM