कर्नाटक के आम की एंट्री बंद! आंध्र प्रदेश ने लगाया तोतापुरी पर बैन, जानिए वजह

आदेश के मुताबिक कर्नाटक और तमिलनाडु से आने वाले आमों को रोकने के लिए सीमा चौकियों पर राजस्व, पुलिस, वन और विपणन विभागों की टीमें तैनात की गई हैं.

नई दिल्ली | Published: 11 Jun, 2025 | 01:18 PM

कर्नाटक के तोतापुरी आम इस बार किसानों के लिए मिठास नहीं, चिंता लेकर आए हैं. राज्य में जहां एक ओर बंपर पैदावार ने किसानों को उम्मीदें दी थीं, वहीं दूसरी ओर आंध्र प्रदेश की ओर से अचानक लगाए गए बैन ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. खासकर वे किसान जो सीमावर्ती जिलों में आम की खेती करते हैं और अपनी फसल चित्तूर की प्रोसेसिंग यूनिट्स में भेजते थे, अब गहरे संकट में हैं.

इस विवाद ने सिर्फ किसानों की आमदनी पर असर नहीं डाला है, बल्कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बीच आपसी व्यापारिक रिश्तों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश ने आंध्र सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. उनका कहना है कि यह कदम न केवल ‘सहकारी संघवाद’ की भावना के खिलाफ है, बल्कि इससे अन्य राज्यों में भी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है.

तोतापुरी की फसल और चित्तूर से रिश्ता

हर साल करीब 3 लाख टन तोतापुरी आम कर्नाटक से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की प्रोसेसिंग यूनिट्स में भेजे जाते हैं. इनमें सबसे अहम भूमिका निभाता है आंध्र का चित्तूर जिला, जहां दर्जनों पल्प फैक्ट्रियां मौजूद हैं. लेकिन इस साल 7 जून को चित्तूर कलेक्टर ने बाहरी राज्यों के आमों की एंट्री पर रोक लगा दी. इस फैसले ने सीमावर्ती जिलों के हजारों किसानों की आजीविका पर संकट खड़ा कर दिया है.

कर्नाटक की चिट्ठी, आंध्र का जवाब

कर्नाटक की मुख्य सचिव शालिनी रजनीश ने आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव के. विजयनंद को पत्र लिखकर इस बैन को “एकतरफा और किसान विरोधी” करार दिया. उनका कहना है कि यह फैसला सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है और इससे किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान होगा. लेकिन चित्तूर कलेक्टर सुमीत कुमार का कहना है कि यह निर्णय स्थानीय किसानों की रक्षा के लिए जरूरी था. इस साल चित्तूर में बंपर फसल हुई है, जिससे पहले ही बाजार में दाम गिर चुके हैं. बाहरी आमों से हालात और बिगड़ सकते हैं. आदेश के मुताबिक कर्नाटक और तमिलनाडु से आने वाले आमों को रोकने के लिए सीमा चौकियों पर राजस्व, पुलिस, वन और विपणन विभागों की टीमें तैनात की गई हैं.

आम का दाम-किसान परेशान

इस समय प्रोसेसिंग यूनिट्स कर्नाटक के तोतापुरी आम के लिए 4 रुपये प्रति किलो की दर दे रही हैं, जबकि किसानों का कहना है कि यह लागत से भी कम है. वहीं, आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य 8 रुपये प्रति किलो तय किया है, जिसमें 4 रुपये की सब्सिडी शामिल है.

कर्नाटक के कोलार जिले की मैंगो प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नालथुर चिन्नप्पा रेड्डी ने बताया, “हमारी कटाई शुरू हो चुकी है. फसल एक महीने में बिकनी चाहिए, वरना सड़ जाएगी.”

कोलार में किसानों का प्रदर्शन

स्थिति से नाराज कोलार के किसानों ने बुधवार को श्रीनिवासपुरा में बंद का आह्वान किया है. किसानों की मांग है कि कर्नाटक सरकार राज्य में ही और प्रोसेसिंग यूनिट्स खोले ताकि उन्हें पड़ोसी राज्यों पर निर्भर न रहना पड़े. अभी राज्य में केवल कोलार, होस्कोटे और तुमकुरु में कुछ यूनिट्स हैं, जो जरूरत से बहुत कम हैं.

पहले से भरी हैं फैक्ट्रियां

साल 2023 और 2024 में आम की कम पैदावार के चलते प्रोसेसिंग यूनिट्स ने ज्यादा दाम पर आम खरीदे थे. लेकिन इस बार जब पैदावार बंपर हुई, तो पिछले दो साल का स्टॉक अब तक खत्म नहीं हुआ. इससे यूनिट्स नए माल को खरीदने से बच रही हैं, और किसानों की फसल मंडियों तक पहुंचने से पहले पल्प में बदलने की कगार पर है.