उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में खाद-बीज की उपलब्धता और ओवररेटिंग को लेकर सख्ती बरती जा रही है. उत्तर प्रदेश में लखनऊ के ग्रामीण हिस्सों से किसानों ने कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से शिकायत की थी, कि इलाके में खाद दुकानदार महंगे दाम पर बिक्री कर रहे हैं. कुछ जगहों पर किसानों को खाद के साथ दूसरे उत्पाद भी जबरिया बेचे जा रहे हैं. इसको लेकर कृषि मंत्री ने जांच अभियान चलाया और खुद खाद खरीदार बनकर पहुंचे तो विक्रेता ने उन्हें ठग लिया. विक्रेता पर कार्रवाई करते हुए लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही बीते कई सप्ताह से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में खाद-बीज की बिक्री को लेकर जांच अभियान चला रहे हैं. लखनऊ के बख्शी का तालाब और इटौंजा के किसानों ने शिकायत करते हुए बताया था कि इलाके के खाद विक्रेता दुकानदार यूरिया खाद की बोरी पर लिखी कीमत से ज्यादा वसूल रहे हैं. कुछ दुकानदार दूसरे प्रोडक्ट भी खरीदने का दबाव बना रहे हैं. इस पर कृषि मंत्री ने छापामार कार्रवाई की.
कृषि मंत्री को यूरिया खाद महंगी बताई
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही खरीदार बनकर खाद लेने दो दुकानों पर पहुंचे तो दोनों दुकानदारों ने तय कीमत से ज्यादा बताई. यूरिया की बोरी का दाम 266.50 रुपये है तो उसने 300 रुपये बताए. जबकि, डीएपी खाद की बोरी की कीमत 1350 रुपये है, पर दुकानदार ने 1500 रुपये कीमत बताई. वहीं, दूसरी खाद की दुकान में कई अनियमितताएं पाई गईं. नाराज कृषि मंत्री ने दोनों खाद विक्रेताओं पर कार्रवाई करते हुए उनका लाइसेंस निरस्त कर दिया.
कालाबाजारी रोकने के लिए अधिकारियों को निर्देश
कृषि मंत्री ने मीडिया को बताया कि अंतरराज्यीय सीमाओं से सटे जिलों में खाद की आपूर्ति और बिक्री पर अधिकारी नजर रखें. खाद बेचने में कालाबाजारी की कोई भी सूचना मिलते ही तुरंत कार्यवाही करें. उन्होंने कहा कि किसान खाद-बीज खरीदते समय रसीद जरूर लें. बता दें कि बीते कई सप्ताह से चल रही खाद-बीज दुकानों पर छापेमारी के बाद दो दर्जन से ज्यादा विक्रेताओं और गोदाम मालिकों पर कार्रवाई की गई है.
एसोसिएशन अध्यक्ष ने बताया क्यों महंगा बेचना पड़ रहा
एग्रो इनपुट डीलर्स एसोसिएशन के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष अतुल त्रिपाठी ने किसान इंडिया को बताया कि कृषि अधिकारी कृषि मंत्री को सही बात नहीं बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि 250 रुपये पर कंपनियों से यूरिया की बोरी मिल रही है और भाड़ा लागत 10 रुपये व्यापारियों को दिया जा रहा है. जबकि, बोरी के रखरखाव समेत अन्य कार्यों में 25-30 रुपये अतिरिक्त खर्च हो रहे हैं. यह खर्च कंपनी व्यापारी को देती नहीं है. उन्होंने कहा कि व्यापारी 30 रुपये का अतिरिक्त खर्च कहां से पूरा करे, इसलिए वह बोरी पर 30 रुपये ले रहा है.
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कंपनियां व्यापारियों को अन्य उत्पादों की टैगिंग भी कर रहे हैं. अगर व्यापारी यह प्रोडक्ट किसानों को बोरी के साथ बेचता है तो उस पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को कंपनियों पर कार्रवाई करनी चाहिए.