आंध्र प्रदेश सहित ओडिशा में खाद की कालाबाजारी हो रही है. इससे किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पा रही है. लेकिन कालाबाजारी के खिलाफ सरकार की कार्रवाई भी जारी है. आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के निर्देश पर गैरकानूनी खाद बिक्री को रोकने के लिए राज्यभर में छापेमारी तेज कर दी गई है. 23 से 31 अगस्त के बीच, 286 विजिलेंस टीमों ने 598 दुकानों की जांच की. इसमें 934 मीट्रिक टन अवैध खाद जब्त की गई, जिसकी कीमत लगभग 1.83 करोड़ रुपये है और 67 केस दर्ज किए गए. इसके अलावा, 4.30 करोड़ की 1911 मीट्रिक टन जमा की गई खाद को अस्थायी रूप से सीज किया गया और 124 मामले दर्ज हुए हैं. साथ ही 8 दुकानदारों पर आपराधिक मामले भी दर्ज किए गए हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को उंडावल्ली कैंप कार्यालय में समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि कालाबाजारी और जमाखोरी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि इससे किसानों को नुकसान होता है. उन्होंने दोहराया कि सरकार का मकसद किसानों को खाद और कीटनाशकों की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करना है और कृषि हितों की रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है.
6.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध
वहीं, कृषि निदेशक एस. दिल्ली राव ने कहा है कि राज्य सरकार किसानों को जरूरी इनपुट, सब्सिडी और खाद दे रही है. उन्होंने कहा कि 6.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध कराया गया था, जिसमें से 5.48 लाख मीट्रिक टन पहले ही किसानों तक पहुंचाया जा चुका है. अभी भी 1 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा स्टॉक उपलब्ध है और केंद्र सरकार से अतिरिक्त स्टॉक भी मिला है.
कालाबाजारी को लेकर किसानों में काफी गुस्सा
वहीं, ओडिशा में रासायनिक खादों की भारी कमी और कालाबाजारी को लेकर किसानों में काफी गुस्सा है. इसी बीच, विपक्ष के नेता और बीजेडी अध्यक्ष नवीन पटनायक ने केंद्र सरकार से इस संकट को तुरंत सुलझाने की अपील की है. केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री जेपी नड्डा को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि खरीफ सीजन की शुरुआत में ही यूरिया की भारी कमी और उसकी कालाबाजारी व मिलावट ने किसानों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया है. खासकर आदिवासी जिलों में किसान यूरिया की उपलब्धता न होने से परेशान हैं. अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो खेती पर बड़ा असर पड़ेगा और किसानों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है.
7.9 लाख टन यूरिया स्टॉक में होने का दावा
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने भले ही 7.9 लाख टन यूरिया स्टॉक में होने का दावा किया हो, लेकिन किसानों को यूरिया नहीं मिल पा रहा है. यूरिया सरकारी रेट से ज्यादा दाम पर बिक रहा है. साथ ही, MARKFED, जो सरकारी वितरण एजेंसी है, वो किसानों की बजाय प्राइवेट व्यापारियों को सब्सिडी वाला खाद दे रही है.