जैविक खाद के इस्तेमाल से फसलें अच्छा उत्पादन देती हैं. मिट्टी की उर्वरक क्षमता में सुधार आता है और उत्पादन की क्वालिटी भी बेहतर होती है. केंचुए से जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया को वर्मी कम्पोस्टिंग कहते हैं. खबर में आगे बात करेंगें कि केंचुए से जैविक खाद कैसे बनाई जा सकती है और क्या है इस खाद के फायदे.
इस विधि से बनाएं वर्मी कम्पोस्ट
वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए आपको एक कमपोस्ट बेड तैयार करना होगा. जिसे आप लकड़ी के बॉक्स की मदद से बना सकते हैं. उस बेड की सबसे निचली परत पर सूखी घास, पत्तियां और भूसा बिछाएं. इसके ऊपर सड़ा हुआ गोबर और किचन वेस्च की एक परत बिछाएं. तैयार किए गए मिश्रण पर 1 किग्रा केंचुए डालें. इसके बाद उन्हें ढकने के लिए ऊपर से गोबर की या सूखे पत्तों की पतली परत डालें. तैयार किए गए मिश्रण में नमी बनाए रखने के लिए 5 से 7 दिन में एक बार पानी छिड़कें. हर 10 से 15 दिन में मिश्रण को जरूर हिलाएं ताकि उसमें हवा अंदर जाती रहे.
खाद तैयार होने का सही समय
केंचुए से खाद बनाने की पूरी प्रक्रिया के बाद लगभग 45 से 60 दिनों में वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाती है. यह एक भूरे से काले रंग की भुरभुरी खाद होती है, इसकी महक मिट्टी के जैसे ही होती है. खेतों में वर्मी कम्पोस्ट के इस्तेमाल के लिए बुवाई या रोपाई से पहले का समय सही होता है. रोपाई के समय हर गड्ढे में 500 ग्राम वर्मी कम्पोस्ट डालें. खेत की सिंचाई करने पर यह पानी के साथ अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाता है.
क्या है इस खाद के फायदे
वर्मीकम्पोस्ट के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ती है, साथ ही फसल ज्यादा और अच्छी क्वालिटी की उपज देती है. इस जैविक खाद की सबसे बड़ी खासियत है कि यह वातावरण के अनुकूल है और पूरा तरह केमिकल फ्री है. इसके इस्तेमाल से मिट्टी में रहने वाले सूक्ष्मजीव भी सक्रिय रहते हैं और साथ ही यह पानी को रोक कर रखने की क्षमता को भी बढ़ाता है. आमतौर पर आप इस खाद का इस्तेमाल 2 से 4 टन प्रति एकड़ की दर से कर सकते हैं.