पछेती बुवाई के लिए गेहूं की बेस्ट 8 किस्में, कृषि एक्सपर्ट की ये सलाह दोगुना कर देगी पैदावार और कमाई
Best Wheat Varieties for Late Sowing: चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने गेहूं बुवाई करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की है, जिसमें बेस्ट क्वालिटी के साथ ज्यादा उत्पादन पाने के लिए बुवाई का सही तरीका और सही बीज चुनाव की जानकारी दी है.
Wheat Farming Tips by HAU: रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई तेजी से जारी है. अगेती किस्मों की बुवाई के लिए अब करीब 10 दिन का ही समय बचा है. ऐसे में जिनके खेत तैयार हैं वही किसान अगेती किस्मों की बुवाई करें. कृषि वैज्ञानिक ने अब किसानों को पछेती गेहूं किस्मों की बुवाई की सलाह दी है. किसानों को बेस्ट 5 पछेती गेहूं के बीज भी बताए हैं. कृषि एक्सपर्ट ने किसानों से कहा है कि अच्छे उत्पादन और बेस्ट क्वालिटी पाने के लिए पछेती किस्म की बुवाई करते समय 5 किलो बीज की मात्रा प्रति एकड़ बढ़ा लें और बुवाई से पहले बीज को भिगो जरूर लें.
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार की ओर से गेहूं बुवाई करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी की गई है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि गेहूं की अगेती किस्मों की बुवाई के लिए अब लगभग 10 दिन ही बाकी है. 25 नवंबर के बाद गेहूं की पछेती किस्मों की बुवाई शुरू हो जाएगी. कृषि सलाह में कहा गया है कि जिन किसानों के खेत पूरी तरह तैयार हैं वहीं अगेती किस्मों की बुवाई करें. क्योंकि, जिनके खेत तैयार नहीं हैं उन्हें खेत की तैयारी में ही 15 दिन का समय लग जाएगा और तब वे पछेती किस्मों की बुवाई ही कर सकेंगे.
पछेती किस्मों की बुवाई के लिए ये सावधानी जरूरी
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि किसान पछेती किस्मों की बुवाई से भी अच्छी पैदावार ले सकते हैं. गेहूं की कई पछेती किस्म हैं जो काफी अच्छी पैदावार देती हैं, बशर्ते है किसान बुवाई करते समय थोड़ी सावधानी बरतें. पछेती गेहूं की बुवाई करते समय सबसे ज्यादा सावधानी पछेती किस्म के चयन व बीज की मात्रा में बरतनी होगी. पछेती बुवाई में जिस भी किस्म का चयन करें उसमें प्रति एकड़ बीज की मात्रा 5 किलो बढ़ा दें. इससे दोगुना उत्पादन मिलने की संभावना मजबूत होती है, जो किसान का मुनाफा और कमाई बढ़ाती है.
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प्रति एकड़ 50 किलो गेहूं बीज जरूरी
कृषि विशेषज्ञों की सलाह है कि पछेती बुवाई में 50 किलो प्रति एकड़ गेहूं बीज जरूर डालें. बुवाई से पहले कुछ देर बीज को जरूर भिगोएं. इसके बाद उसे उपाचरित करें और फिर थोड़ा सूखने पर उसकी बुवाई करें. इससे खेत में फसल का जमाव जल्द होने में मदद मिलेगी और अंकुरण बढ़िया होगा. पछेती किस्मों की बुवाई के समय सर्दी बढ़ने से गेहूं के जमाव में देरी होती है और कई बार 15 दिन में भी फसल का जमाव नहीं हो पाता. भिगोकर बुवाई करने से इस समस्या का समाधान हो जाएगा.
अगेती-पछेती किस्मों की बुवाई के लिए तापमान कितना हो
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जब तक औसत तापमान (दिन व रात के तापमान को जोड़कर दो से भाग देने पर जो आता है) साढ़े 22 डिग्री के आसपास रहता है तब तक गेहूं की बुवाई को अगेती बुवाई माना जाता है. यदि औसत तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे आ जाता है उस समय जो बुवाई होती है उसे पछेती बुवाई कहा जाता है.
कब और कहां होती है अगेती-पछेती गेहूं की बुवाई
हरियाणा के कई जिलों में जहां पीआर धान या फिर अगेती किस्म की बासमती धान की रोपाई होती है, वहां गेहूं की अगेती बुवाई की जाती है. इसमें करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, कैथल, यमुनानगर, फतेहाबाद जिले शामिल हैं. जहां पर 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का काम पूरा हो जाता है. वहीं प्रदेश के कई जिले जहां बासमती की पछेती किस्मों की रोपाई होती है. कपास की खेती होती है फिर जलभराव के कारण खेत कठोर होने की दिक्कत है, वहां पर गेहूं की पछेती बुवाई होती है. इनमें रोहतक, जींद, हिसार, भिवानी, सिरसा, झज्जर आदि जिले शामिल हैं. इन जिलों में काफी क्षेत्र में हर साल पछेती गेहूं की बुवाई होती है.
बेस्ट गेहूं की पछेती किस्में
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की पछेती किस्मों की कोई कमी नहीं है. काफी ऐसी किस्में है जो बहुत ही अच्छी पैदावार देती हैं.
इन किस्मों में यूपी -2338, राज-3765, एचडी- 2985 (पूसा बसंत), डीबीडब्ल्यू- 173, डीबीडब्ल्यू-90, पीबीडब्ल्यू-590, डब्ल्यूएच-1124, डब्लूएच-1021 आदि किस्में शामिल हैं. यह किस्में पछेती बुवाई के लिए जानी जाती हैं और कम समय में ज्यादा पैदावार देती हैं. यह किस्में कम सिंचाई वाले इलाकों और गर्म तापमान को बर्दाश्त करने में सक्षम होती हैं और गेहूं में होने वाली कई बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं.