हर साल प्याज की कीमतें कभी आसमान छूती हैं तो कभी इतनी गिर जाती हैं कि किसान लागत तक नहीं निकाल पाते. इससे न सिर्फ किसानों को बड़ा नुकसान होता है, बल्कि आम जनता को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. खासकर महाराष्ट्र में, जहां देश का करीब 35 से 40 प्रतिशत प्याज उगाया जाता है.
इन्हीं हालात को देखते हुए अब महाराष्ट्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार जल्द ही राज्य के प्याज उत्पादक इलाकों में इरैडिएशन सेंटर (irradiation centres) यानी ऐसे केंद्र बनाएगी, जहां प्याज को खराब होने से बचाने के लिए उसकी प्रोसेसिंग की जाएगी. इससे प्याज की शेल्फ लाइफ यानी भंडारण क्षमता कई महीनों तक बढ़ाई जा सकेगी.
चुनावी झटका बना बदलाव की वजह
यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में महालो गठबंधन (महायुति) को प्याज उत्पादक जिलों में बड़ा नुकसान झेलना पड़ा. नासिक, पुणे, सोलापुर और अहमदनगर जैसे इलाकों के किसानों ने प्याज निर्यात पर लगे प्रतिबंधों के खिलाफ मतदान किया, जिससे सत्ता पक्ष के उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा.
डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने खुद माना कि दिसंबर 2023 में प्याज निर्यात पर लगे कंट्रोल की वजह से किसानों में भारी नाराजगी थी, जिससे चुनावी नुकसान हुआ.
प्याज की कीमतों में क्यों आती है उथल-पुथल?
महाराष्ट्र के किसान अक्सर प्याज की खेती से होने वाले नुकसान का सामना करते हैं, जिसकी दो बड़ी वजहें हैं. पहली, जब प्याज की पैदावार बहुत अधिक हो जाती है, तो बाजार में इसकी आपूर्ति बढ़ जाती है और कीमतें अपने आप गिर जाती हैं. दूसरी तरफ, जब केंद्र सरकार निर्यात पर रोक लगाती है तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज की मांग घट जाती है, जिससे घरेलू कीमतों पर भी असर पड़ता है.
चूंकि प्याज एक ऐसी फसल है जो जल्दी खराब हो जाती है और ज्यादा समय तक भंडारण में नहीं रखी जा सकती, इसलिए किसान मजबूरी में इसे कम कीमत पर बेचने को मजबूर हो जाते हैं. यही वजह है कि उन्हें कई बार लागत का भी पैसा नहीं मिल पाता और घाटा सहना पड़ता है.
क्या होता है इरैडिएशन सेंटर?
इरैडिएशन सेंटर एक ऐसी जगह होती है जहां खाद्य पदार्थों को विशेष रेडिएशन तकनीक से प्रोसेस किया जाता है ताकि वे जल्दी खराब न हों. प्याज को इरैडिएट करने से उसमें अंकुरण नहीं होता, और वो 2 से 6 महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे किसान अपने प्याज को कम दाम पर बेचने के बजाय सही समय पर अच्छे दाम में बेच सकते हैं.
कहां-कहां बनेंगे ये सेंटर?
ये सेंटर खास तौर पर प्याज उत्पादक जिलों में बनाए जाएंगे. योजना है कि अगले 2 से 3 महीनों में कुछ सेंटर शुरू भी कर दिए जाएं. इससे किसानों को जल्दी राहत मिलने की उम्मीद है.
किसानों को होगा ये फायदा
- प्याज को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाएंगे
- कम दाम मिलने पर भंडारण कर सकेंगे
- जब बाजार में भाव अच्छे हों तब बेच सकेंगे
- बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी
- नुकसान से बचाव होगा, मुनाफा बढ़ेगा