ठंड में भी हरी-भरी खेती! जानिए कैसे पॉली टनल तकनीक बढ़ा रही है किसानों की आमदनी

खेती में अब नई क्रांति ला रही है लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक. इससे किसान कम खर्च में अधिक उपज ले रहे हैं. यह तरीका फसलों को ठंड, कीट और रोगों से बचाकर नर्सरी उत्पादन को आसान बनाता है और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी करता है.

नोएडा | Published: 11 Nov, 2025 | 12:28 PM

Low Cost Poly Tunnel : अगर आप सोच रहे हैं कि खेती में खर्चा दिन-ब-दिन बढ़ रहा है, तो अब खुश होने की वजह है. लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है. यह तकनीक कम लागत में ज्यादा उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता वाली फसल देने के लिए जानी जा रही है. खास बात यह है कि इसे छोटे और मध्यम किसान भी आसानी से अपना सकते हैं.

क्या है लो कॉस्ट पॉली टनल तकनीक?

पॉली टनल तकनीक असल में एक छोटा, सस्ता और देसी पॉलीहाउस है. यह खेत में एक ऐसा ढांचा होता है जो पारदर्शी पॉलीथीन शीट से ढका होता है. इसके अंदर बीजों और पौधों को ठंड, धूप, बारिश और कीटों से सुरक्षा मिलती है. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस तकनीक से किसान सर्दियों में भी नर्सरी तैयार कर सकते हैं, जब सामान्य रूप से बीज अंकुरण  मुश्किल होता है. इससे उन्हें अगेती फसल (early crop) तैयार करने में मदद मिलती है और बाजार में पहले पहुंचने के कारण अच्छा दाम मिलता है.

क्यों है यह किसानों के लिए फायदेमंद?

इस तकनीक से न केवल उत्पादन लागत घटती है, बल्कि किसानों की आमदनी  भी बढ़ती है. यह तकनीक तापमान को सामान्य से 5 से 7 डिग्री ज्यादा रखती है. बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे तेजी से बढ़ते हैं. मौसम की मार से बचाव होता है, जिससे पौधों की मृत्यु दर कम हो जाती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि पॉली टनल के अंदर उगाए गए पौधे अधिक स्वस्थ और रोगमुक्त रहते हैं, जिससे रासायनिक दवाओं का खर्च भी घट जाता है.

लो कॉस्ट पॉली टनल

कम खर्च में ज्यादा फायदा

एक लो कॉस्ट पॉली टनल बनाने में ज्यादा खर्च नहीं आता. इसे बांस, PVC पाइप या लोहे की छड़ों से बनाया जा सकता है. ढांचे को 20 से 30 माइक्रोन मोटी पारदर्शी पॉलीथीन शीट से ढक दिया जाता है, जो सूरज की रोशनी अंदर आने देती है लेकिन ठंडी हवा को रोकती है. इससे अंदर का तापमान नियंत्रित रहता है और पौधों को आदर्श वातावरण मिलता है. रिपोर्टों के मुताबिक, इसे बनवाने का खर्च पारंपरिक पॉलीहाउस की तुलना में लगभग 70 प्रतिशत कम होता है. यानी जहां पॉलीहाउस में लाखों का खर्च आता है, वहीं यह तकनीक कुछ हजार रुपये में तैयार हो जाती है.

पौधों की सुरक्षा और रोग नियंत्रण

पॉली टनल तकनीक. (Photo Credit- Canva)

इस तकनीक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि यह फफूंद, कीट और बैक्टीरिया के हमले से पौधों की रक्षा करती है. रिपोर्टों के मुताबिक, पॉली टनल के अंदर एक नियंत्रित वातावरण होता है, जिससे कीटों की संख्या स्वाभाविक रूप से कम रहती है. इससे कीटनाशकों का प्रयोग घटता है और फसल ज्यादा जैविक और सुरक्षित बनती है. इसके साथ ही, टनल के अंदर नमी बनी रहने से पानी की जरूरत भी बहुत कम होती है. यानी सिंचाई का खर्च भी घट जाता है.

ऐसे बनाएं अपनी पॉली टनल- आसान और सस्ता तरीका

रिपोर्ट में बताया गया है कि पॉली टनल बनाने की प्रक्रिया बेहद आसान है:-

रिपोर्टों में बताया गया है कि इस तरह तैयार टनल में पौधे जल्दी विकसित होते हैं और 15 से 20 दिन पहले तैयार फसल मिल जाती है.

पॉली टनल के अंदर एक नियंत्रित वातावरण होता है

किसानों के लिए बदल सकती है खेल

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पॉली टनल तकनीक अब तेजी से किसानों में लोकप्रिय हो रही है. छोटे किसान इससे टमाटर, मिर्च, गोभी, बैंगन और खीरा जैसी सब्जियों की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. जब ये पौधे जल्दी तैयार होते हैं तो बाजार में उनकी कीमत ज्यादा मिलती है, जिससे किसानों की कमाई में 30-40 फीसदी तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इसके अलावा, किसान अब सर्दियों  में भी फसल उगा पा रहे हैं, जिससे सालभर आमदनी बनी रहती है. रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि भविष्य में यह तकनीक ग्रामीण अर्थव्यवस्था  को नया बल दे सकती है और खेती को किफायती और टिकाऊ बना सकती है.

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