केला ऐसा फल है जो बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी को पसंद आता है. पीले केले का स्वाद, सेहत और ऊर्जा के लिए इस्तेमाल तो आप हमेशा से करते आए होंगे, लेकिन क्या आपने कभी लाल रंग का केला खाया है? जी हां, लाल केला अब धीरे-धीरे भारतीय बाजारों और खेतों में अपनी खास जगह बना रहा है. लाल केला सिर्फ स्वाद, पोषण के मामले में ही आगे नहीं हैं, बल्कि मुनाफे में भी यह पीले केले को पीछे छोड़ रहा है.
कहां और कैसे हो रही है इसकी खेती?
लाल केले की खेती पहले ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे देशों में होती थी, लेकिन अब यह भारत के तमिलनाडु, महाराष्ट्र, केरल और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी तेजी से फैल रही है. खासकर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में उद्यान विभाग ने इसे बढ़ावा देने के लिए हजारों पौधे किसानों को बांटे, जिससे अब किसान इससे अच्छी आमदनी कर रहे हैं. इसकी सबसे खास बात ये है कि इसमें बीटा-कैरोटीन, विटामिन ए, सी, बी6, मैग्नीशियम, पोटैशियम, और फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है. इसकी मिठास और मुलायम स्वाद के कारण यह बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी फायदेमंद है.
पैदावार और कीमत में डबल फायदा
जहां पीले केले का एक गुच्छा सामान्यतः 60-70 फलों का होता है, वहीं लाल केले के एक गुच्छे में लगभग 100 केले तक हो सकते हैं. और बाजार में इसकी कीमत? सुनकर हैरानी होगी कि यह 200 रुपये दर्जन या 16-17 रुपये प्रति केला तक बिकता है. यानि अगर किसान थोक रेट पर भी बेचते हैं, तो उन्हें पीले केले की तुलना में दोगुनी कमाई मिल सकती है. एक एकड़ में करीब 600 पौधे लगाए जा सकते हैं और एक फसल से किसान लाखों रुपये तक की कमाई कर सकते हैं.
ऐसे करें लाल केले की खेती-
मिट्टी और मौसम का रखें खास ध्यान
लाल केले की फसल दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी होती है, जिसमें पानी थोड़ी देर ठहर सके, लेकिन ज्यादा देर तक न रुके. जलभराव इसकी जड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है. इस फसल को गर्म और नमी वाली जलवायु पसंद है, और अगर तापमान 20 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, तो यह तेजी से बढ़ती है.
पौधा लगाने का सही समय और तरीका
लाल केले के पौधे लगाने का सही वक्त फरवरी से मई और जुलाई से सितंबर के बीच होता है. एक खेत में पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखना बहुत जरूरी होता है, जिससे हर पौधे को पर्याप्त धूप और हवा मिल सके. आमतौर पर एक एकड़ में 600 पौधे लगाए जा सकते हैं.
सिंचाई और पोषण पर दें ध्यान
पौधे लगाते ही पहली सिंचाई कर दी जाती है. इसके बाद गर्मियों में हर 7-10 दिन और सर्दियों में 15-20 दिन के अंतर पर पानी देना चाहिए. गोबर की खाद, नीम खली या जैविक खाद देना फायदेमंद होता है. पौधों की बढ़त के लिए जरूरत के हिसाब से फॉस्फोरस, पोटाश और नाइट्रोजन भी दिया जा सकता है.
कीट और बीमारी से बचाव जरूरी
फसलों को पत्तों पर धब्बे, फलों पर कीड़े या पत्तियों के झड़ने जैसे लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए. जैविक कीटनाशकों का छिड़काव और खेत में समय-समय पर सफाई जरूरी होती है. फलों को मक्खियों से बचाने के लिए उन्हें नेट या पेपर से ढकना भी फायदेमंद होता है.
फसल की कटाई और आमदनी
लाल केले की फसल 15 से 16 महीनों में तैयार हो जाती है. एक पौधे से औसतन 80 से 100 केले मिल सकते हैं. बाजार में यह 200 रुपये दर्जन या इससे ज्यादा तक बिकता है. थोक में भी किसान इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं. एक एकड़ फसल से 2 से 3 लाख रुपये की आमदनी हो सकती है.
मेहनत कम, मुनाफा ज्यादा
इसकी खेती के लिए ज्यादा मेहनत भी नहीं चाहिए. यह सामान्य केले की तरह ही दोमट या जलधारण करने वाली मिट्टी में उगाया जा सकता है, बस जलभराव न हो इसका ध्यान रखना जरूरी है. इसकी फसल करीब 15 महीने में तैयार हो जाती है, और अच्छी बात ये है कि एक बार पौधा लगाने के बाद तीन बार तक फसल ली जा सकती है.