Skandmata Ki Poojan Vidhi: शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन माता स्कंदमाता को समर्पित होता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा, और मानसिक शांति का आशीर्वाद मिलता है. कमल के आसन पर विराजमान मां स्कंदमाता को पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इस स्वरूप में मां अपनी गोद में कार्तिकेय भगवान को लिए हुए हैं, इस कारण से मां के इस स्वरूप को मातृत्व का प्रतीक भी माना जाता है. मां के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है. आइए जान लेते हैं क्या है ये कथा और पूजन की किस विधि से मां होंगी प्रसन्न.
स्कंदमाता कहलाने के पीछे का कारण
पौराणिक और धार्मिक कथाओं के अनुसार, माता दुर्गा जब मां के रूप में अपने पुत्र कार्तिकेय को गोद में लेती हैं तब वे स्कंदमाता कहलाती हैं. स्कंद का अर्थ है भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, शक्ति कुमार, और सुब्रह्मण्य के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि तारकासुर नामक राक्षस को ये वरदान मिला था कि उसको केवल शिव पुत्र की खतम कर सकता है. तारकासुर के आतंक से पृथ्वि को बचाने के लिए ही मां दुर्गा ने भगवान कार्तिकेय को जन्म दिया और उन्हें तारकासुर से युद्ध के लिए तैयार भी किया.

मां स्कंदमाता की गोद में विराजमान भगवान कार्तिकेय (Photo Credit- Canva)
इस विधि से करें मां की पूजा
स्कंदमाता की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह स्नान कर पीले रंग के साफ कपड़े पहनें. इस दिन पीले कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई कर देवी की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उसको फूलों से सजाएं. भोग के लिए माता को केले चढ़ाएं. मां को कमल गट्टे की माला, कुमकुम, हल्दी, चंदन आदि लगाकर पूजन करें. पूजन करते समय 108 बाद देवी के मंत्र ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः का जप करें और आखिर में मां की आरती करें और मां के सामने अपनी इच्छापूर्ति की कामना करें. बता दें कि, नवरात्रि का पांचवा दिन उन लोगों के लिए अत्यंत शुभ होता है जो संतान सुख की कामना रखते हैं या जिनके बच्चे कष्ट में हैं.
मां को चढ़ाएं उनका प्रिय भोग
हिंदू शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार, मां स्कंदमाता को केले का फल अत्यंत प्रिय है और ऐसा कहते हैं कि नवरात्रि के पांचवे दिन मां को केले का भोग चढ़ाने से संतान सुख की प्राप्त होती है. साथ ही परिवार में भी सुख शांति बनी रहती है. कुछ परंपराओं में मां को सात्विक रूप से बना सूजी का हलवा और पूड़ी भी अर्पित किया जाता है.