महाराष्ट्र के गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत, अब रिकवरी के आधार पर मिलेगा गन्ने का दाम

अब गन्ना किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) मौजूदा सीजन में गन्ने से निकली चीनी की मात्रा यानी रिकवरी दर के आधार पर मिलेगा. यह फैसला हाल ही में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और चीनी उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया.

नई दिल्ली | Updated On: 11 Sep, 2025 | 12:05 PM

महाराष्ट्र में गन्ना किसानों और चीनी मिल मालिकों के बीच लंबे समय से चल रही एक बड़ी समस्या का हल निकला है. अब गन्ना किसानों को उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) मौजूदा सीजन में गन्ने से निकली चीनी की मात्रा यानी रिकवरी दर  के आधार पर मिलेगा. यह फैसला हाल ही में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और चीनी उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों के बीच हुई बैठक के बाद लिया गया. सरकार ने इस पर फिलहाल कोई अध्यादेश जारी नहीं किया है, लेकिन दिशानिर्देश लागू कर दिए हैं.

किसानों और मिल मालिकों में क्यों था विवाद?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अब तक किसानों और मिल मालिकों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह था कि FRP तय करने के लिए किस सीजन की रिकवरी दर को आधार बनाया जाए. कई बार पिछले साल की रिकवरी को आधार माना जाता था, तो कभी मौजूदा साल की. इससे भुगतान को लेकर असमंजस और विवाद दोनों ही बढ़ जाते थे. किसान अक्सर आरोप लगाते थे कि मिल मालिक पिछले सीजन की रिकवरी के बहाने उन्हें कम पैसा देते हैं, जबकि मिल मालिक कहते थे कि मौजूदा सीजन की रिकवरी महीने-दर-महीने बदलती रहती है, इसलिए भुगतान तय करना मुश्किल हो जाता है.

मिल मालिकों की परेशानियां

बैठक के दौरान मिल मालिकों ने साफ कहा कि वे किसानों को समय पर भुगतान करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई कारणों से यह आसान नहीं है.

  • गन्ने से चीनी की रिकवरी का प्रतिशत हर महीने बदलता है. दिसंबर और जनवरी में रिकवरी ज्यादा रहती है, लेकिन सीजन के आखिर तक यह घट जाती है.
  • मिलों के खर्च लगातार बढ़ रहे हैं. बिजली, मजदूरी और मेंटेनेंस पर भारी खर्च आता है.
  • बैंकों से कर्ज लेने के लिए उन्हें अपने चीनी स्टॉक को गिरवी रखना पड़ता है.
  • सरकार की ओर से तय किए गए कोटे के अनुसार ही चीनी बाजार में बेची जा सकती है, जिससे तुरंत नकदी नहीं मिल पाती.

इन कारणों से मिल मालिकों का कहना है कि FRP भुगतान में देरी होना उनकी मजबूरी है, न कि लापरवाही.

MSP बढ़ाने की मांग

बैठक में चीनी मिल मालिकों ने एक और अहम मुद्दा उठाया-चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP). उनका कहना है कि FRP लगातार बढ़ रहा है, लेकिन MSP कई सालों से वही का वही है. अगर MSP को बढ़ाया जाता है, तो चीनी का स्टॉक ज्यादा मूल्य का हो जाएगा और उन्हें बैंक से अधिक कर्ज मिलेगा. इससे किसानो को समय पर भुगतान करना आसान होगा.

महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ के अनुसार, MSP न बढ़ने की वजह से राज्य की कई मिलें घाटे में चल रही हैं और कुछ तो बंद भी हो चुकी हैं.

किसानों की उम्मीदें और चुनौतियां

किसानों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उनका कहना है कि अगर भुगतान मौजूदा सीजन की रिकवरी के हिसाब से होगा, तो उन्हें सही मूल्य मिलेगा और पारदर्शिता भी बनी रहेगी. हालांकि, किसान भी मानते हैं कि जब तक मिल मालिकों की दिक्कतें दूर नहीं होतीं, तब तक समय पर भुगतान मिलना मुश्किल रहेगा.

कुछ किसान नेताओं का कहना है कि सरकार को मिल मालिकों की मदद के लिए जल्द से जल्द MSP बढ़ाने और उन्हें कर्ज पर राहत देने जैसे कदम उठाने चाहिए. तभी यह नई व्यवस्था सफल साबित होगी.

कुल मिलाकर, महाराष्ट्र सरकार का यह कदम किसानों के लिए राहत की खबर है. लेकिन इसे लंबे समय तक टिकाऊ बनाने के लिए जरूरी है कि सरकार किसानों और मिल मालिकों दोनों की चुनौतियों का हल निकाले. तभी गन्ना उद्योग को मजबूती मिल सकेगी और लाखों किसानों का भविष्य सुरक्षित हो पाएगा.

Published: 11 Sep, 2025 | 11:55 AM